प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
युद्ध के कारण प्रमुख रूसी आपूर्तिकर्ताओं रोसनेफ्ट और लुक ऑयल पर अमेरिका के प्रतिबंध लगाए जाने के बाद गुरुवार को तेल कीमतों में लगभग 5 प्रतिशत की उछाल आई। ब्रेंट क्रूड वायदा 12:11 बजे जीएमटी पर 2.98 डॉलर या 4.8 प्रतिशत बढ़कर 65.57 डॉलर प्रति बैरल पर था, जबकि अमेरिकी वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट क्रूड वायदा 3.01 डॉलर या 5.2 फीसदी बढ़कर 61.51 डॉलर पर पहुंच गया।
सैक्सो बैंक में विश्लेषक ओले हैनसेन के अनुसार अमेरिकी प्रतिबंधों का मतलब है कि रूसी तेल की प्रमुख खरीदार- चीन और भारत की रिफाइनरियों को पश्चिमी बैंकिंग प्रणाली से बाहर होने से बचने के लिए वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की तलाश करनी होगी। अमेरिका ने कहा कि वह आगे की कार्रवाई के लिए तैयार है। उसने रूस से यूक्रेन में युद्धविराम पर तुरंत सहमत होने का आह्वान किया।
ब्रिटेन ने पिछले सप्ताह रोसनेफ्ट और लुक ऑयल पर प्रतिबंध लगाए थे। यूरोपीय संघ के देशों ने रूस के खिलाफ प्रतिबंधों के 19वें पैकेज को मंजूरी दी है जिसमें रूसी एलएनजी के आयात पर प्रतिबंध भी शामिल है। ब्रेंट क्रूड के वायदा भाव में तेजी से गिरावट देखी गई क्योंकि पहले महीने का ब्रेंट कॉन्ट्रैक्ट छह महीने बाद डिलीवरी वाले कॉन्ट्रैक्ट से लगभग 2 डॉलर प्रति बैरल ऊपर कारोबार कर रहा था।
यूबीएस के विश्लेषक जियोवानी स्टानोवो ने कहा कि तेल बाजारों पर प्रतिबंधों का असर इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत कैसी प्रतिक्रिया देता है और रूस वैकल्पिक खरीदार ढूंढ पाता है या नहीं। यूक्रेन पर रूस के युद्ध के बाद भारत रियायती दरों पर समुद्री रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया।
उद्योग सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि नए प्रतिबंधों के कारण भारतीय रिफाइनरियां रूसी तेल के आयात में भारी कटौती कर सकती हैं।