एफिसेस बोलेगा कि हो गए कल-पुर्जे खराब

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 2:02 AM IST

बेंगलुरु की अनुसंधान एवं विकास फर्म प्रोसिम और ब्रिटेन की सेफ टेक्नोलॉजी ने भारत में एक ऐसा उपकरण पेश किया है जो कारों और बसों में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न कल-पुर्जों के टिकाऊपन का आकलन करेगा।


‘एफिसेफ’ नामक यह उपकरण ऑटोमोबाइल, एरोस्पेस और विद्युत उत्पादन जैसे क्षेत्रों की कंपनियों को उपकरणों के विभिन्न कलपुर्जों में कमी का पता लगाने में सक्षम बनाएगा।

एफिसेफ एक ऐसी प्रणाली है जिसमें कम्प्यूटर सिम्यूलेशन की मदद से कारों, बसों, विमानों और यहां तक कि इंजीनियरिंग क्षेत्र में इस्तेमाल किए जाने वाले सभी उपकरणों में विभिन्न कलपुर्जों और प्रणालियों के टिकाऊपन का पता लगाया जाता है।

प्रोसिम के निदेशक एस. शामासुंदर ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत के दौरान कहा, ‘भारत में वाहनों या अन्य उपकरणों के टिकाऊपन और असर का फिजीकल प्रोटोटाइप के जरिये आकलन किया जाता है। अनुसंधान प्रयोगशालाएं इस असर का पता लगाने के लिए सिम्यूलेटरों का इस्तेमाल कर रही हैं।  लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में लंबा वक्त लगता है और प्रोटोटाइप इसमें विफल साबित हुए हैं।

एफिसेफ एक ऐसा उपकरण है जो दो से तीन घंटे के अंदर टिकाऊपन का पता लगाता है और सॉल्युशन भी मुहैया कराता है।’ शामासुंदर के मुताबिक कार की इस प्रोटोटाइप के जरिये फिजीकल टेस्टिंग का खर्च 50,000 से 1,00,000 रुपये के बीच हो सकता है जिससे डिजिटल प्रोटोटाइप टेस्टिंग के जरिये बचा जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘एक दशक से भी अधिक समय से एफिसेफ यूरोप और अमेरिका की कंपनियों में अपनी छवि मजबूत बना चुका है। यूरोप और अमेरिका से बड़ी संख्या में वाहन कंपनियां भारत में अपना पांव जमा रही हैं। उन्हें यहां एफिसेफ की मदद की जरूरत पड़ेगी। प्रोसिम और सेफ टेक्नोलॉजी इच्छुक कंपनियों के साथ संयुक्त रूप से कार्य करेंगी और उन्हें एफिसेफ मुहैया कराएंगी और जरूरत पड़ने पर इसका परीक्षण भी करेंगी।’

भारत में जॉन डीअर, कमिंस इंडिया, सत्यम जैसी कंपनियां और ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई), इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी-दिल्ली और सेंट्रल इंस्टीटयूट फॉर रोड ट्रांसपोर्ट (सीआईआरटी) जैसे संस्थान पहले ही इस उपकरण को पसंद कर चुके हैं।

सेफ टेक्नोलॉजी ने दावा किया है कि एफिसेफ के 90 प्रतिशत परिणाम फिजीकल प्रोटोटाइप पर किए गए परीक्षणों से संबद्ध हैं। सेफ टेक्नोलॉजी के मुख्य कार्यकारी डॉ. जॉन ड्रैपर कहते हैं, ‘हमने भारत में एक इस्पात टयूब निर्माता कंपनी के लिए ऐसे परीक्षण किए हैं।’

First Published : May 28, 2008 | 12:46 AM IST