भारतीय आईटी उद्योग पर कोरोना महामारी का सबसे बड़ा प्रभाव कंपनियों द्वारा हाइब्रिड वर्कफोर्स मॉडल को अपनाना रहा, जिसके तहत कर्मी यह चयन कर सकता है कि वह कहां से काम करना चाहता है। उद्योग संगठन नैसकॉम एक ऐसे ढांचे पर काम कर रहा है, जो इस कार्यबल को संबोधित करेगा और उद्योग से जुड़े विभिन्न पहलुओं को शामिल किया जाएगा। कई कंपनियां इस तरह के बदलाव को लेकर अपने शुरुआती कदम उठा चुकी हैं। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने इस बदलाव पर काम करना शुरू कर दिया है और कुछ वर्षों से खुले कार्यक्षेत्र उपलब्ध करा रही है, जबकि इसके कई केंद्र सहयोगी स्थानों में बदल गए हैं। कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 4,69,000 है।
टीसीएस में सीएमओ राजश्री आर. कहती हैं कि आज के दौर में कर्मचारी कहीं से भी काम कर सकते हैं, इसलिए इन कार्यस्थलों को सहयोगी केंद्रों के रूप में बदल देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘कंपनियों की दूर-दराज के स्थानों में ऑफसाइटें होंगी, जिससे कर्मचारी दिमागी कसरत कर सकें। घर से काम के बढ़ते चलन के साथ शायद भविष्य में, कर्मचारी काम के लिए घर का उपयोग करेंगे और सहयोग के लिए कार्यालय आएंगे। यदि आप हमारे कुछ केंद्रों पर जाएंगे तो आपको सहयोगात्मक कार्यस्थल के साथ ही टीमों के लिए बेहतर विकल्प दिखेंगे।’
टीसीएस अप्रैल 2020 में 25&25 मॉडल लाने के साथ ही इसे लाने वाली पहली कंपनियों में से एक बन गई थी, जिसका अर्थ था कि साल 2025 तक टीसीएस के कर्मचारियों में से केवल 25 प्रतिशत कार्यबल टीसीएस सुविधाओं से बाहर काम करेंगे। महामारी के चलते लॉकडाउन लगने से वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर गंभीर असर पड़ा और इस समय कंपनी के कुल कर्मचारियों में से लगभग 90 प्रतिशत घर से काम कर रहे हैं। नैसकॉम की अध्यक्ष देवयानी घोष ने कहा, ‘कार्यक्षेत्र में हाइब्रिड मॉडल के लिए हम देखेंगे कि किस तरह के काम दूर स्थानों से किए जा सकते हैं और कौन से नहीं हो सकते। हम एक फ्रेमवर्क तैयार करेंगे, जिसमें हाइब्रिड क्षमता वाली नौकरियों का वर्णन होगा।