रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक मझोले आकार की (300 से 1,500 करोड़ रुपये कारोबार वाली) सब इनवेस्टमेंट ग्रेड की 1,700 से ज्यादा कंपनियों के कर्ज के पुनर्गठन की जरूरत होगी, जिससे उन्हें कोविड-19 के झटकों के बाद पटरी पर आने में मदद मिल सके।
सब-इन्वेस्टमेंट ग्रेड (बीबी प्लस या कम) की कुल 1,754 फर्मों 589 इन्वेस्टमेंट ग्रेड (बीबीबी माइनस या उसके ऊपर) की कंपनियों ने मार्च-अगस्त 2020 के बीच पुनर्भुगतान में किस्त टालने का विकल्प चुना था। क्रिसिल में इन कंपनियों के रेटेड पोर्टफोलियो में कर्ज का आकार करीब 25 से 30 करोड़ का है।
पांच क्षेत्रों- बिजली, रत्न एवं आभूषण, पैकेजिंग, होटल, वाहन के कल पुजे4 व ऑटो डीलरों में से 99 प्रतिशत से ज्यादा फर्मों ने कर्ज की किस्त टालने का विकल्प चुना था। महामारी शुरू होने के पहले से ही सब इन्वेस्टमेंट ग्रेड की कंपनियां अर्थव्यवस्था में आई मंदी के संकट से जूझ रही हैं। कर्ज टालने की सहूलियत ने उन्हें नकदी का समर्थन दिया है।
इन्वेस्टमेंट ग्रेड की इकाइयों ने किस्त टालकर संसाधन जुटाए और उनके पास कम अवधि के लिए नकदी आई है। क्रिसिल रेटिंग के सीनियर डायरेक्टर सुबोध राय ने कहा कि ज्यादातर कम लोच वाली कंपनियों ने कर्ज के किस्त टालने का विकल्प अपनानाया है, इनमें से कुछ ही ज्यादा लोच वाली हैं।