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MTNL बंद हुआ तो 3,574 कर्मचारियों के सामने सिर्फ वीआरएस लेने का ही विकल्प

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- June 07, 2023 | 12:18 AM IST

सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) के बंद होने और शेयर बाजार से उसकी सूचीबद्धता खत्म होने की स्थिति में कंपनी और उसके 3,574 कर्मचारियों के सामने संभवतः स्वैच्छिक सेवानिवृत्तिय योजना (VRS) का एकमात्र विकल्प बचेगा। अधिकारियों का यह कहना है।

संचार मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के इस उद्यम की स्थापना 1986 में की गई थी। इसे दिल्ली और मुंबई सर्किल में टेलीफोन सेवाएं मुहैया कराने की जिम्मेदारी दी गई। कंपनी 2008-09 तक मुनाफे वाली इकाई रही।

उसके बाद से कंपनी को हर साल घाटा होने लगा। सिर्फ 2013-14 में 7,825 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ, जब पेंशन संबंधी देनदारी और स्पेक्ट्रम अथराइजेशन लागत के लिए विशेष प्रावधान किया गया।

सरकार ने अक्टूबर 2019 में घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए 68,751 करोड़ रुपये के पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी दी। इस पैकेज में दोनों इकाइयों का विलय और सॉवरिन समर्थित बॉन्ड जारी करके धन जुटाने का प्रावधान शामिल था। लेकिन वित्त वर्ष 23 तक एमटीएनएल का कर्ज बढ़कर 23,500 करोड़ रुपये हो गया।

इसकी वजह से तुलनात्मक रूप से स्थिर कंपनी बीएसएनएल में इसका विलय अटक गया। हालांकि एमटीएनएल को अभी सॉवरिन बॉन्डों से 6,661 करोड़ रुपये जुटाने हैं, जिसके लिए पिछले सप्ताह इसके बोर्ड से मंजूरी मांगी गई है।

मंगलवार को मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि सरकार एमटीएनएल को बंद कर सकती है और बीएसएनएल का परिचालन जारी रख सकती है।

कर्मचारियों का सवाल

दबाव में चल रही कंपनी के लिए पुनरुद्धार पैकेज की मंजूरी की शर्तों में से एक शर्त यह भी थी कि कर्मचारी यूनियन स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) स्वीकार करेंगी। उसके बाद एमटीएनएल ने नवंबर 2019 में वीआरएस योजना पेश की, जो 31 जनवरी, 2020 तक 50 साल और उससे ज्यादा उम्र के सभी नियमित और स्थाई कर्मचारियों के लिए थी।

दूरसंचार विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘कुल 22,000 कर्मचारियों में से 15,000 कर्मचारी इस योजना के पात्र थे। इसमें से ज्यादातर कर्मचारियों यानी 14,378 ने यह विकल्प चुना। इससे पता चलता है कि कर्मचारियों को भरोसा कम था कि पीएसयू का स्वास्थ्य सुधर जाएगा।’

फरवरी 2023 तक एमटीएनएल के कुल कर्मचारियों की संख्या 3574 रह गई, जो दिल्ली या मुंबई में काम कर रहे हैं। दूरसंचार विभाग और बीएसएनएल के अधिकारियों ने कहा कि आगे चलकर अगर एमटीएनएल बंद होता है तो कर्मचारियों के लिए इसी तरह की योजना बनाई जा सकती है।

बीएसएनएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘कुछ कर्मचारी, जिसमें ज्यादातर तकनीकी और रखरखाव का काम करते हैं, उन्हें बहाल रखा जा सकता है। उन्हें बीएसएनएल में स्थानांतरित किया जा सकता है। बहरहाल ज्यादातर कर्मचारियों को वीआरएस का विकल्प दिया जाएगा।’इस समय करीब 1,900 एमटीएनएल कर्मचारी 50 साल से ज्यादा उम्र के हैं। कर्मचारियों की औसत उम्र 46 प्रतिशत है।

वीआरएस लागू होने पर मुआवजे के रूप में मोटा मोटी 46 माह तक का वेतन दिया जा सकता है। एमटीएनएल ने भी इस योजना में कर्मचारियों को तीन हिस्से में बांटा था, जिसमें कंबाइंड सर्विस, प्रो रेटा और एमटीएनएल द्वारा भर्ती किए गए कर्मचारी शामिल हैं।

कोई अन्य रास्ता नहीं

जिन कर्मचारियों को बीएसएनएल में नहीं लिया जाएगा, उनके सामने वीआरएस के अलावा छंटनी एकमात्र विकल्प होगा। अगर पिछले वीआरएस और अन्य कदमों को शामिल कर लें तो एमटीएनएल के कुल कर्मचारियों की संख्या घटकर महज 4,430 रह गई है।

यह उम्मीद की गई थी कि वेतन पर होने वाला सालाना खर्च घटकर 500 करोड़ रुपये रह जाएगा, जो पहले 2,272 करोड़ रुपये था। कुल खर्च में कर्मचारियों पर हो रहा खर्च भी घटकर 25 प्रतिशत रह जाने की उम्मीद है, जो इसके पहले 85 प्रतिशत था। लेकिन अधिकारियों ने कहा कि घाटे की वजह से परिचालन राजस्व खत्म हो रहा है।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक एमटीएनएल के फिक्स्ड लाइन ग्राहकों की संख्या नवंबर 2008 के 35.4 लाख से घटकर मार्च 2023 में 23.12 लाख रह गई है।

सरकार ने बार बार कहा है कि उसका इन कंपनियों के निजीकरण का कोई इरादा नहीं है, ऐसे में इस इकाई को बंद करना ही एकमात्र विकल्प हो सकता है।

अप्रैल और जुलाई 2022 में संचार मंत्रालय ने लिखित रूप से संसद को सूचित किया था कि सरकार की बीएसएनएल या एमटीएनएल के विनिवेश की कोई योजना नहीं है।

First Published : June 7, 2023 | 12:00 AM IST