बीएस बातचीत
मार्च 2021 तिमाही की कॉरपोरेट आय और कोविड की दूसरी लहर ने बाजारों को पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान व्यस्त बनाए रखा। निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड में इक्विटी निवेश के सीआईओ मनीष गुनवानी ने पुनीत वाधवा के साथ एक साक्षात्कार में बताया कि भले ही गतिविधियों में आई नरमी से घरेलू क्षेत्रों की अल्पावधि आय प्रभावित हो सकती है, लेकिन कॉरपोरेट आय वृद्घि के संदर्भ में दो-तीन वर्ष का नजरिये मजबूत बना हुआ है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
कोविड की दूसरी लहर में बाजार अपेक्षाकृत मजबूत बने हुए हैं। वे कब तक टिकाऊ बने रह सकते हैं?
इसके कई कारण हैं। पहला, भारतीय शेयर बाजार सिर्फ भारत पर केंद्रित नहीं है, आय का कुछ हिस्सा वैश्विक अर्थव्यवस्था (आईटी, फार्मा, जिंस आदि) से जुड़े क्षेत्रों से आता है और इस सेगमेंट ने बेहतर प्रदर्शन किया है। दूसरा, ज्यादातर सूचीबद्घ कंपनियां छोटी कंपनियों के मुकाबले बाजार भागीदारी बढ़ा रही हैं। इसलिए, भले ही उद्योग की वृद्घि नरम हो, लेकिन सूचीबद्घ कंपनियों की आय ज्यादा प्रभावित नहीं हो रही है। साथ ही शेयर बाजार भविष्य को लेकर अवगत हैं और सामान्य धारणा यह है कि कोविड का यह चरण जल्द समाप्त होगा, क्योंकि कुछ प्रमुख देशों में टीकों की सफलता इस नजरिये में बड़ा
कारक है।
आप इस अनिश्चित दौर से कैसे निपट रहे हैं?
सामान्य तौर पर, हमारे डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंड बेंचमार्क-केंद्रित रहे हैं और हम बाजार को लेकर समय में बहुत ज्यादा विश्वास नहीं करते हैं। बाजार ने मध्यावधि-दीर्घावधि में मजबूत प्रतिफल प्रदान किया है। इसलिए, हम अपनी निवेश प्रक्रिया में ज्यादा बदलाव नहीं ला रहे हैं।
बाजार के स्थायित्व के लिए मुद्रास्फीति और अन्य वृहद कारक कितने चुनौतीपूर्ण हैं?
मुद्रास्फीति शायद वैश्विक बाजारों के लिए सबसे बड़ा खतरा है, क्योंकि जिंस कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। कई विकसित बाजार रोजगार स्तर में तेजी दर्ज कर रहे हैं, जिससे पारिश्रमिक में तेजी आ सकती है। वहीं इक्विटी के लिए, मुद्रास्फीति में तेजी का रुझान है, लेकिन यह उम्मीदों के अनुरूप है और इसका बड़ा सकारात्मक असर देखा जा सकता है, क्योंकि इससे आय में मदद मिली है और पूंजी प्रवाह बॉन्डों से इक्विटी में जा सकता है।
क्या आप अगली कुछ तिमाहियों के दौरान आय अनुमानों में गिरावट का अनुमान जता रहे हैं?
जहां कोविड की दूसरी लहर से गतिविधि में नरमी को बढ़ावा मिला है और इससे घरेलू क्षेत्रों की अल्पावधि आय प्रभावित होने की संभावना है, वहीं कॉरपोरेट आय वृद्घि पर दो-तीन वर्ष का नजरिया शानदार बना हुआ है। बैंक, जिंस, दूरसंचार, और फार्मा जैसे कई क्षेत्र 2015-2020 के लंबे चरण के दौरान आय में मंदी के चक्र का सामना किया। पिछली कुछ तिमाहियों में अच्छी बात यह रही कि अर्थव्यवस्था पर कोविड जैसी चुनौतियों के प्रभाव के बावजूद आय ने तेजी के संदर्भ में सकारात्मक बदलाव दर्ज किया।
क्या आप स्पेशियल्टी केमिकल्स और फार्मा क्षेत्रों में तेजी की और ज्यादा गुंजाइश देख रहे हैं?
कुछ खास निर्माण क्षेत्र चीन से भारत में स्थानांतरित हुए हैं और यह एक मजबूत ढांचागत थीम बना हुआ है। रसायन/फार्मा इसका लाभ उठाने के लिहाज से अच्छी स्थिति में हैं, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों के दौरान उन्होंने मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया है। हालांकि, सामान्य स्थिति में इन क्षेत्रों में शेयर महंगे हैं, लेकिन कुछ शेयर अभी भी अच्छा प्रतिफल दे सकते हैं।
क्या धातु शेयरों में और तेजी आएगी?
धातु शेयरों का जिंस कीमतों के साथ संबंध मजबूत है और इसके अलावा इनमें से कई कंपनियों की बैलेंस शीट पर बड़ा कर्ज है। इसलिए, तेजी के चक्र में, वित्तीय लेवरेज भी जुड़ा हुआ है। धातु कीमतों में वृद्घि की गति को देखते हुए शेयरों में अच्छी तेजी आई है। इस क्षेत्र में कुछ और तेजी संभावित है।
बीएफएसआई सेगमेंट के लिए आपकी क्या रणनीति है?
यह काफी हद तक स्वाभाविक है कि कोविड की दूसरी लहर जैसे संकट के बीच परिसंपत्ति गुणवत्ता पर दृष्टिकोण अल्पावधि में कमजोर हुआ है। बड़े निजी बैंक इस चुनौतीपूर्ण समय का सामना करने में अन्य सेगमेंटों के मुकाबले ज्यादा बेहतर ढंग से सक्षम होंगे। दूसरे स्तर की कंपनियों की राह में न सिर्फ परिसंपत्ति गुणवत्ता की समस्या है बल्कि तथ्य यह भी है कि प्रौद्योगिकी प्रतिस्पर्धी बढ़त का बड़ा हिस्सा बन रही है, इसलिए पर्याप्त निवेश करने और सही प्रतिभाओं को आकर्षित करने की क्षमता बेहद चुनौतीपूर्ण हो रही है।
अगली कुछ तिमाहियों में खपत को लेकर स्थिति कैसी रहेगी?
जहां डिस्क्रेशनरी खर्च अल्पावधि में प्रभावित होने की आशंका है, वहीं परिवारों की मजबूत बैलेंस शीट और कई वस्तुओं और सेवाओं की कम पहुंच से इस महामारी के बाद खपत मजबूत रहने को बढ़ावा मिल सकता है।