भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के 8 अरब डॉलर के आईपीओ में संभावित निवेशक कंपनी प्रबंधन से यह भरोसा चाहते हैं कि वह सरकार जो कि उसकी नियंत्रक शेयरधारक है, की ओर से निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उनके हितों को बलिदान नहीं करेंगे। सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
इस मामले से अवगत चार लोगों ने कहा है कि देश की अब तक की सबसे बड़ी सार्वजनिक सूचीबद्घता के लिए आभासी रोडशो में एलआईसी प्रबंधन और आईपीओ बैंकरों से बीमाकर्ता के पहले के निवेशों और उनकी गुणवत्ता के बारे में पूछा गया है। एलआईसी हाल के वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा बेची की गई सरकारी कंपनियों में शेयरों की प्रमुख खरीदार रही है।
एलआईसी का इस्तेमाल दबावग्रसत वित्तीय संस्थाओं को बचाने के लिए भी किया गया है।
सूत्रों ने कहा कि पिछले हफ्ते शुरू हुए आईपीओ रोडशो जो इस महीने के अंत तक जारी रहने की उम्मीद है, में हितों का
संभावित टकराव मुख्य मुद्दा बनता जा रहा है।
प्रॉक्सी सलाहकार कंपनी इनगवर्न के संस्थापक श्रीराम सुब्रमण्यन ने कहा, ‘सरकार नियामक, प्रबंधक और शेयरधारक बनना चाहती है और कई बार वह अपनी भूमिका को लेकर भ्रमित हो जाती है।’ सुब्रमण्यन ने रोडशो में हिस्सा नहीं लिया था।
सुब्रमण्यन ने कहा, ‘सरकारी मंत्रालय यह मानकर चल सकते हैं कि एलआईसी 100 फीसदी उनके नियंत्रण में है और जरूरत पडऩे पर मनमाफिक दबाव डालना चाहेंगे और इसी बात को लेकर निवेशक चिंतित हैं।’
जितने प्रभावशाली तरीके से एलआईसी और उसके निवेश बैंकर निवेशकों की चिंताओं का समाधान करने में सक्षम होंगे उतना ही अधिक बीमाकर्ता का मूल्यांकन निर्धारित करने में मदद मिलेगी और इसके परिणामस्वरूप एलआईसी के आईपीओ से सरकार को होने वाली आमदनी में इजाफा होगा।