अबू धाबी की विमानन कंपनी एतिहाद एयरवेज भारत के साथ अतिरिक्त द्विपक्षीय अधिकारों की कमी पर चिंतित नहीं है, क्योंकि वैश्विक हवाई यात्रा की मांग मजबूत है और विमानन कंपनी भारत के अलावा अन्य मार्गों पर अपने बेड़े तैनात कर रही है। यह बात कंपनी के मुख्य कार्य अधिकारी एंटोनोआल्डो नेवेस ने आज कही है। उन्होंने कहा कि अगर अनुमति मिले तो विमानन कंपनी 2026-27 में भारत के लिए और उड़ानें शुरू करने के लिए भी तैयार है।
उल्लेखनीय है कि भारत और अबू धाबी के बीच द्विपक्षीय वायु सेवा समझौते के तहत दोनों देशों की विमानन कंपनियां को हर हफ्ते 50 हजार सीटों की अनुमति है। भारतीय और अबू धाबी दोनों देशों की विमानन कंपनियों ने अपने आवंटन का पूरा उपयोग किया है।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत और अबू धाबी के बीच द्विपक्षीय अधिकार बढ़ाने के वास्ते बातचीत शुरू हो गई है नेवेस ने कहा, ‘बातचीत हमेशा चलती रहती है। दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध भी हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मैं द्विपक्षीय अधिकार बढ़ाने के मसले पर चिंतित नहीं हूं। मुझे लगता है कि यह किसी न किसी तरह हो ही जाएगा। अगर ऐसा होता है तो यह बहुत आसान है। इन मार्गों पर किराये बढ़ जाएंगे। ट्रैफिक नहीं बढ़ने वाली है हमें कोई दूसरा संतुलन तलाशना होगा। आप बाजार को नहीं मात दे सकते हैं।’
नेवेस ने कहा कि बाजार में विमानों की सीमित उपलब्धता पर चिंता है। वैश्विक हवाई यात्रा की मांग बढ़ रही है। इसलिए, उन्होंने कहा कि सवाल द्विपक्षीय अधिकार बढ़ाने का नहीं बल्कि भारत-अबू धाबी मार्गों पर तैनात करने के लिए पर्याप्त विमानों की उपलब्धता का है।
एयरबस और बोइंग दोनों ही आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिससे एतिहाद जैसी विमानन कंपनियों को चौड़े आकार वाले विमानों की आपूर्ति धीमी हो गई है। उन्होंने कहा, ‘चौड़े आकार वाले विमानों के लिए चुनौतियां अधिक हैं। मुझे लगता है कि हमें यह मानकर काम करना होगा कि अगले पांच से दस साल तक स्थिति तंग रहेगी।’
हालांकि, विमानों की आपूर्ति सीमित बनी हुई है लेकिन वैश्विक स्तर पर मांग ऊंची बनी हुई है। नेवेस ने कहा कि एतिहाद के लोड फैक्टर या ऑक्यूपेंसी दर लगभग 90 फीसदी हैं। दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और यूरोप से आने-जाने वाली उड़ानें भी भारत के मार्गों के जैसे अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यात्री और राजस्व दोनों ही नजरिये एतिहाद के कुल कारोबार में भारत का योगदान लगभग 20 फीसदी है।
संयुक्त अरब अमीरात और कतर के लिए भारत द्विपक्षीय उड़ान अधिकारों को बढ़ाना नहीं चाहता है, क्योंकि दुबई और दोहा जैसे पश्चिम एशियाई देश मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका और यूरोप की यात्रा करने वाले भारतीय यात्रियों के लिए पारगमन बिंदु के रूप में काम करते हैं। साथ ही, भारतीय विमानन कंपनियां लगातार चौड़े आकार विमानों को शामिल कर रही हैं और लंबी दूरी के गंतव्यों के लिए नॉन-स्टॉप परिचालन बढ़ा रही हैं।
सरकार का कहना है कि अतिरिक्त अधिकारों पर तब ही विचार किया जाएगा जब मुख्य रूप से आगे के कनेक्शनों के बजाय पर्याप्त एक छोर से दूसरे छोर के लिए मांग हो।
नोएडा और नवी मुंबई जैसे नए हवाई अड्डों के लिए उड़ानें शुरू करने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘अगर हमें अतिरिक्त द्विपक्षीय अधिकार मिलते हैं, तो हम इन स्थानों के लिए उड़ानें शुरू करेंगे।’