जेएसडब्ल्यू की पीई, विदेशी बैंकों से बात

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 5:40 PM IST

अक्षय ऊर्जा फर्म मित्रा एनर्जी के अधिग्रहण के लिए जेएसडब्ल्यू समूह ने अमेरिकी दिग्गज अपोलो ग्लोबल समेत कई अन्य प्राइवेट इक्विटी फंडों से बातचीत शुरू की है। यह अधिग्रहण 2 अरब डॉलर के एंटरप्राइज वैल्यू से कम पर होगा और इसकी घोषणा अगले महीने होगी। बैंकिंग सूत्रों ने यह जानकारी दी।
जेएसडब्ल्यू समूह की इकाई जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने 10 अरब डॉलर के निवेश से साल 2030 तक अपने पोर्टफोलियो में 15 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा जोड़ने का लक्ष्य रखा है। मित्रा के पास पवन व सौर ऊर्जा परियोजनाएं हैं, जिसकी क्षमता 1.8 गीगावॉट है। मित्रा एनर्जी (इंडिया) प्राइवेट का स्वामित्व बिंदु वायु (मॉरीशस) के पास है,  इस तरह से उसका स्वामित्व मित्रा एनर्जी के पास है। मित्रा एनर्जी लिमिटेड पहले ऑल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट मार्केट (एआईएम) में सूचीबद्ध‍ थी, जो लंदन स्टॉक एक्सचेंज का उप-बाजार है। इसके मुख्य प्रवर्तक रवि कैलास (मित्रा ग्रुप के चेयरमैन) के पास मित्रा एनर्जी लि​मिटेड की  93 फीसदी शेयरधारिता है जबकि बाकी हिस्सेदारी अन्य निवेशकों के पास है।
इस मामले पर जेएसडब्ल्यू समूह के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से मना कर दिया।
लेनदारअभी इस लेनदेन के लिए विभिन्न मानकों पर विचार कर रहे हैं, जिसमें बिजली खरीद करार व उसके उपबंध शामिल हैं। एक बैंकर ने  कहा, अगर मित्रा परियोजना के  पास अतिरिक्त भुगतान सुरक्षा इंतजाम, ग्रिड की अनुपलब्धता पर मुआवजा और बिजली खरीदार के डिफॉल्ट पर वित्तीय सुरक्षा होगी तो फिर निवेशक इस अधिग्रहण के लिए  वित्त पोषण पर विचार करेंगे। अल एसपीवी के तहत मित्रा की परिचालन वाली परिसंपत्तियां अभी 17 विंड फार्म  व  21 सोलर फार्म में फैली हुई  है, जो पंजाब, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु में है। कंपनी की वेबसाइट से यह जानकारी मिली। कंपनी बिजली की बिक्री मुख्य रूप से राज्यों के ग्रिड को 13  से 25 साल वाले बिजली खरीद करार  के जरिए करती है।
जेएसडब्ल्यू का बाजार मूल्यांकन शुक्रवार  को  35,000  करोड़ रुपये था और शेयर की कीमत 212 रुपये।
टाटा, अदाणी, जेएसडब्ल्यू और रिलायंस इंडस्ट्रीज समेत भारत की अग्रणी कंपनियां अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अरबों डॉलर निवेश कर रही हैं।
कुल बिजली उत्पादन क्षमता में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी साल 2021 में 37 फीसदी हो गई, जो 2012 में 31 फीसदी थी। इसमें सौर ऊर्जा का तेजी से विस्तार हुआ और  यह 2021 में 60 गीगावॉट तक पहुंच गई, जो 2011 में एक गीगावॉट से भी कम था।

First Published : July 10, 2022 | 11:52 PM IST