कंपनियां

बढ़ती मांग पूरी करने के लिए हमारी क्षमताएं सही वक्त पर: JSW Steel

जेएसडब्ल्यू स्टील ने वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही के दौरान संयुक्त शुद्ध लाभ में पिछले साल के मुकाबले 84 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की।

Published by
ईशिता आयान दत्त   
Last Updated- October 28, 2024 | 7:27 AM IST

चीन से इस्पात निर्यात में तेजी का वैश्विक इस्पात उद्योग पर साया पड़ रहा है। इस्पात के दामों में गिरावट की वजह से देश की सबसे बड़ी इस्पात विनिर्माता कंपनी जेएसडब्ल्यू स्टील ने वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही के दौरान संयुक्त शुद्ध लाभ में पिछले साल के मुकाबले 84 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की। जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी जयंत आचार्य ने ऑडियो साक्षात्कार में ईशिता आयान दत्त को बताया कि मध्य से दीर्घावधि में इसके समूचे विस्तार के मामले में अल्पकालिक चुनौतियों से रुख तय नहीं होगा। प्रमुख अंश …

इस्पात के दाम दूसरी तिमाही के निचले स्तर से ऊपर आए हैं। लेकिन कच्चे माल के मामले में लौह अयस्क के दामों में इजाफा हुआ है। तीसरी तिमाही के मामले में क्या रुख है?

समूचे माहौल के कारण दूसरी तिमाही चुनौतीपूर्ण तिमाही रही जो चीन के निर्यात और भारत में आने वाले अधिक इस्पात की वजह से जटिल हो गई। हमने कम लागत के जरिये इसकी भरपाई की। भारतीय परिचालन ने वास्तव में पिछली तिमाही की तुलना में प्रति टन एबिटा के मामले में बेहतर प्रदर्शन किया। वॉल्यूम भी काफी दमदार रहा। कच्चे इस्पात का उत्पादन, घरेलू बिक्री सबसे ज्यादा रही। इसलिए चुनौतीपूर्ण माहौल के बावजूद यह सकारात्मक रहा। हमारी उम्मीद है कि भारत में साल का समापन करीब 1.5 करोड़ टन की मांग के साथ होगा। इसलिए सीजन के लिहाज से मजबूत रहने वाली दूसरी छमाही अच्छी रहेगी।

क्या आपको दूसरी तिमाही में वाहन और बुनियादी ढांचा श्रेणी की मांग में मंदी नजर आई?

पहली छमाही में वाहन क्षेत्र को हमारी अब तक की सबसे ज्यादा बिक्री रही। ग्रामीण इलाकों में ऐसी श्रेणियां हैं, जिनमें तेजी देखी जा रही है, खास तौर पर दोपहिया और ट्रैक्टरों के मामले में। यात्री वाहन, जो थोड़े धीमे रहे हैं, त्योहारी सीजन में रफ्तार पकड़ेंगे। साथ ही विभिन्न वाहन विनिर्माताओं के साथ हमारे पास जो करार हैं, वे हमें अच्छी स्थिति में रखेंगे। पहली छमाही में अक्षय ऊर्जा को हमारी बिक्री काफी मजबूत रही। पहली छमाही में ब्रांडेड बिक्री बेहतर रही जबकि आयात के कारण जिंस का हिस्सा धीमा था। हमने बुनियादी ढांचे और निर्माण श्रेणी में भी बेहतर प्रदर्शन किया।

लेकिन सरकारी पूंजीगत व्यय धीमा रहा है?

पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में इस्पात की मांग 6.4 करोड़ टन थी, इस वर्ष की पहली छमाही में यह 7.27 करोड़ टन रही। सरकार के धीमे पूंजीगत व्यय के बावजूद यह बड़ा बदलाव है। निजी पूंजीगत व्यय भी शुरू हो चुका है और हमने देखा है कि दूसरी तिमाही में सरकारी पूंजीगत व्यय बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप लॉन्ग स्टील की बिक्री में सुधार हुआ है। वास्तव में इस्पात की शीटों की तुलना में इसकी कीमतें पहले से निम्नतम स्तर पर आ चुकी हैं।

क्या इस्पात के दाम निम्नतम स्तर पर आ चुके हैं?

दाम निम्नतम स्तर पर आ चुके हैं। चीन में कई कंपनियां घाटे में थीं। इसलिए कीमतों को कुछ व्यावहारिक स्तरों पर लाने के लिए कमी की जरूरत थी। लेकिन जो दाम दिखे हैं, वे पहले के स्तरों की तुलना में ज्यादा नहीं हैं। भारत में हॉट रोल्ड कॉइल (एचआरसी) के दाम अप्रैल के महीने से सितंबर तिमाही तक प्रति टन करीब 5,500 से 6,000 रुपये कम हैं। ऐसा मुख्य रूप से आयात के दबाव की वजह से हुआ।

आपने साल 2031 तक पांच करोड़ टन की क्षमता का अनुमान लगाया है। क्या आयात से इस क्षमता विस्तार पर कोई जोखिम पड़ेगा?

पिछले दो दशकों में हमारे पास कई चक्र रहे हैं – साल 2008, 2015 और फिर कोविड। हमने कोविड के दौरान दो विस्तार परियोजनाएं पूरी कीं – अपना डोलवी विस्तार और जेवीएमएल। हमने दोनों का प्रबंध किया। भारत में बढ़ती मांग पूरी करने के मामले में इन क्षमताओं का समय ठीक है। फिर से ऐसा ही प्रदर्शन होगा। मुझे लगता है कि मध्य से समूची दीर्घावधि के लिए अल्पावधि कोई मार्ग तय नहीं करती है। देश के लिहाज से भारत इस दशक में आगे भी मजबूत बना रहेगा।

हमारी क्षमता विस्तार योजना – सितंबर 2027 तक डोलवी में तीसरा चरण और विजयनगर में हमारा ब्लास्ट फर्नेस विस्तार, जिसे हमने कुछ स्थगित कर दिया है, निश्चित रूप से होगा।

First Published : October 28, 2024 | 7:27 AM IST