सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील (JSW Steel) की समाधान योजना को बरकरार रखा। साथ ही पूर्व प्रोमोटर्स और कुछ लेनदारों की आपत्तियों को खारिज कर दिया।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, चीफ जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने मई के अपने आदेश को रद्द करने के बाद अपील की दोबारा सुनवाई की और योजना को मंजूरी दी। अदालत ने बीपीएसएल के लेनदारों की एबिट्डा (EBITDA) में हिस्सेदारी की मांग को भी ठुकरा दिया।
चीफ जस्टिज गवई ने 11 अगस्त को जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की स्पेशल बेंच ने मामले की फिर से सुनवाई की थी। इससे पहले 2 मई के आदेश में जेएसडब्ल्यू स्टील (JSW Steel) की 19,700 करोड़ रुपये की अधिग्रहण योजना को आईबीसी उल्लंघन का हवाला देते हुए खारिज कर दिया गया था और बैंकों को 19,350 करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया गया था। इससे लगभग 34,000 करोड़ रुपये का बैंक एक्सपोजर जोखिम में पड़ गया था।
पंजाब नेशनल बैंक के नेतृत्व में बैंकों ने अदालत में बताया कि उन्होंने जेएसडब्ल्यू स्टील (JSW Steel) की योजना का समर्थन एक शर्त पर किया था। शर्त यह थी कि जेएसडब्ल्यू स्टील अपनी कमाई का एक हिस्सा साझा करेगा।
बैंक 6,155 करोड़ रुपये से ज्यादा की मांग कर रहे हैं। इसमें जुलाई 2017 से मार्च 2021 के बीच कमाया गया 3,569 करोड़ रुपये का एबिट्डा (EBITDA) शामिल है। इसके अलावा, वित्तीय लेनदारों को देर से भुगतान पर 2,509.88 करोड़ रुपये की ब्याज और परिचालन लेनदारों को 76.62 करोड़ रुपये का ब्याज भी मांगा जा रहा है।
जेएसडब्ल्यू स्टील का कहना है कि उनकी योजना में एबिट्डा साझा करने का कोई प्रावधान नहीं है। वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल ने अदालत में कहा, “2021 तक कंपनी घाटे में थी। मैं एक घाटे वाली कंपनी को खरीद रहा हूं।” कंपनी ने चेतावनी दी कि अगर बैंकों की 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की मांग मानी जाती है, तो इससे पहले से तय शर्तें बदल जाएंगी। उन्होंने कहा कि ऐसा करना एक खतरनाक मिसाल बन सकता है।
वहीं, पूर्व प्रोमोटर संजय सिंघल और कुछ असहमति जताने वाले लेनदारों ने आरोप लगाया कि जेएसडब्ल्यू स्टील ने वादे पूरे नहीं किए। साथ ही 8,000 करोड़ रुपये के बजाय केवल 100 करोड़ रुपये लगाए। वित्तीय लेनदारों को केवल 540 करोड़ रुपये एडवांस दिए और ऑपरेशनल लेनदारों के भुगतान में 900 दिन से अधिक की देरी की गई।
भूषण पावर एंड स्टील की दिवाला प्रक्रिया जुलाई 2017 में शुरू हुई थी। तब पीएनबी के नेतृत्व में बैंकों ने 47,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया वसूली के लिए याचिका दायर की थी। टाटा स्टील को पछाड़ते हुए जेएसडब्ल्यू स्टील सफल बोलीदाता बनी और उसकी योजना को एनसीएलटी और एनसीएलटी ने मंजूरी दी। लेकिन कानूनी चुनौतियों और ईडी अटैचमेंट्स के कारण इसे लागू करने में देरी हुई। अधिग्रहण के बाद जेएसडब्ल्यू स्टील ने भूषण पावर एंड स्टील की प्रोडक्शन कैपेसिटी 2017 के 23 लाख प्रति टन से बढ़ाकर 2025 में 45 लाख प्रति टन कर दी है।