निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज वित्त वर्ष 2009 में अपनी आय को बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय कारोबार को फैलाने पर काम करने पर विचार कर सकती है।
घरेलू क्षेत्र में आए उतार-चढ़ाव से उबरने के लिए हो सकता है कि कंपनी अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में विस्तार का रुख करे।हालिया आर्थिक स्थिति से घरेलू उड़ानों की क्षमता में विस्तार के बारे में सही संकेत नहीं मिल पा रहे हैं, जबकि कुछ कंपनियां पहले ही अधिक क्षमताओं के जंजाल से दो-दो हाथ कर रही हैं। हाल ही में कुछ एयरलाइंस को एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) में वृध्दि के बाद अपने किरायों को बढ़ाना पड़ा है।
बाजार सूत्रों के अनुसार वित्त वर्ष 2009 में कंपनी की कुल आय में 44 प्रतिशत का बड़ा हिस्सा अंतरराष्ट्रीय परिचालन से मिलेगा, जबकि वित्त वर्ष 2006 में इसकी भागीदारी सिर्फ 11 प्रतिशत और वित्त वर्ष 07 में 18 प्रतिशत थी। साफ तौर पर, अंतरराष्ट्रीय रूटों को खोले जाने पर कंपनी को मुनाफा होगा।
जेट के लिए, एक प्रमुख इक्विटी रिसर्च कंपनी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय हिस्से में वृध्दि 104 प्रतिशत तक सालाना चक्रवृध्दि वृध्दि दर पर वित्त वर्ष 2007 में 1,357.4 करोड़ रुपये से बढ़ कर वित्त वर्ष 2009 में 5,643.6 करोड़ रुपये हो सकती है।यह अनुमान है कि एयरलाइन में अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की आवाजाही वित्त वर्ष 2009 में 22 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी, जो 2007 में 8 प्रतिशत थी।
जेट के एक अधिकारी का कहना है, ‘वित्त वर्ष 2009 की कुल आय में कितना हिस्सा अंतरराष्ट्रीय व्यापार से प्राप्त होगा, इसका जिक्र हम नहीं करना चाहते। लेकिन हां, यह कुल आय के लगभग 50 प्रतिशत के आस-पास हो सकता है।’उम्मीद है कि जेट अपनी अंतरराष्ट्रीय विस्तार योजना की घोषणा जल्द ही कर देगी।
इस एयरलाइन ने अपने अंतरराष्ट्रीय परिचालन कार्य 2004 में लंदन, सिंगापुर और कुछ अन्य स्थानों के साथ शुरू किए थे। लेकिन कंपनी की विस्तार योजना को उसके बड़ी क्षमता वाले एयरक्राफ्ट के साथ ही पंख लगे।कपंनी ने पिछले साल न्यूयॉर्क और टोरोंटों के लिए अपनी उड़ानें शुरू की थीं और पश्चिमी एशिया में भी अपनी उड़ानों को बढ़ाया था। हाल ही में कंपनी ने शंघाई से होते हुए सैन फ्रांसिस्को और दिल्ली से हांगकांग की उड़ानों की घोषणा की है।
जेट ने जोहान्सबर्ग की सप्ताह में एक उड़ान के विचार को ब्रेक लगा दी है, क्योंकि इस उड़ान पर आवंटित बड़ी क्षमता वाले एयरक्राफ्ट को पहले से ही सैन फ्रांसिस्को और हांगकांग रूट के लिए हरी झंडी दे दी गई है।ऐसी क्या खास बातें हैं जो अंतरराष्ट्रीय रूटों पर जेट के लिए फायदेमंद होंगी! इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि यह कंपनी के लिए काफी महत्वपूर्ण शुरुआत होगी, क्योंकि फिलहाल एयर इंडिया के अलावा ऐसी कोई घरेलू विमानन कंपनी नहीं है, जो अंतरराष्ट्रीय उड़ान सेवा दे रही हो।
अर्नेस्ट एंड यंग के कुलजीत सिंह (भागीदार) का कहना है, ‘यह जेट के लिए बेहतर रणनीति होगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार मंी घरेलू उड़ानों के लिए 25 प्रतिशत का एक बड़ा हिस्सा तैयार है। साथ ही बाजार विस्तार के लिए काफी बड़ा भी है।’विश्लेषकों के अनुसार एयर इंडिया को अपने घरेलू 44 स्थानों के बड़े नेटवर्क के साथ अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को सफलतापूर्वक जोड़ने की वजह से ही काफी मुनाफा हो रहा है।