जेसी फ्लावर्स ऐसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (JC Flowers Asset Reconstruction Company) ने राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (NCLT) के मुंबई पीठ से एस्सेल समूह (Essel group ) के संस्थापक सुभाष चंद्रा को जापान की सोनी (Sony) से प्राप्त होने वाले गैर-प्रतिस्पर्धी शुल्क का उपयोग उनका 377 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने के लिए इस्तेमाल करने के लिए कहा है।
चंद्रा ने येस बैंक द्वारा एस्सेल इन्फ्रास्ट्रक्चर को दिए गए ऋणों के लिए व्यक्तिगत गारंटी दी थी, जिसमें बाद में चूक हो गई। JC Flowers ARC ने पिछले साल मई में येस बैंक से एसेल समूह के फंसे ऋणों का अधिग्रहण किया था और अपनी बकाया राशि की वसूली के लिए अदालत का रुख किया था। इस मामले की सुनवाई गुरुवार को होगी।
JC Flowers ARC ने तर्क दिया है कि चूंकि बीएसई में सूचीबद्ध ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज और भारत में सोनी इंडिया के टेलीविजन कारोबार के बीच विलय के तहत चंद्रा को मॉरीशस स्थित इकाई में सोनी से 1,100 करोड़ रुपये का गैर-प्रतिस्पर्धी शुल्क प्राप्त होगा, इसलिए इन फंड को भारत में खरीदा जाना चाहिए ताकि ऋणदाताओं को भुगतान किया जा सके। चंद्रा ने विलय वाली इकाई में परिवार की हिस्सेदारी को दो प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत करने के लिए इस गैर-प्रतिस्पर्धा शुल्क का इस्तेमाल करने की योजना बनाई है।
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ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (Zee Entertainment Enterprises) ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की। जेसी फ्लावर्स एआरसी को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला।
कुछ अन्य ऋणदाता – ऐक्सिस फाइनैंस, आईडीबीआई बैंक और आईमैक्स कंपनी ने भी अदालत में इस विलय पर आपत्ति जताई है और अपना बकाया मांग रहे हैं।
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इससे पहले मीडिया की खबरों में कहा गया था कि जेसी फ्लावर्स एआरसी और ज़ी के प्रवर्तक इस मामले को निपटाने के लिए बातचीत कर रहे हैं, लेकिन उद्योग के एक सूत्र ने कहा कि बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई है।