आधार का प्रबंधन करने वाली एजेंसी – भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए क्वांटम कंप्यूटिंग और ब्लॉकचेन जैसी भविष्य की प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए तैयारी कर रहा है। यूआईडीएआई के मुख्य कार्याधिकारी सौरभ गर्ग ने आज यह जानकारी दी।
इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर्स अथॉरिटी (आईएफएससीए) और ब्लूमबर्ग द्वारा आयोजित इनफिनिटी फोरम में गर्ग ने पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा के साथ बातचीत में कहा ‘हम जरूरत वाली क्वांटम रेजिस्टेंट क्रिप्टोग्राफी के मसले के उदाहरण पर विचार कर रहे हैं कि हम प्रमाणीकरण के लिए स्मार्टफोन की क्षमताओं का उपयोग कैसे कर सकते हैं और ब्लॉकचैन का भी, कि हम इसे (आधार डेटाबेस को) कैसे विकेंद्रीकृत कर सकते हैं।’
गर्ग ने कहा कि यूआईडीएआई अन्य देशों के साथ साझेदारी पर विचार करेगा और भारत के आधार के उदाहरण से उनकी सीखने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि आगे चलकर हमें 1.3 अरब से अधिक लोगों वाली इस डिजिटल पहचान के प्रोत्साहन के संबंध में अन्य देशों के साथ सहयोग करने में खुशी होगी। अन्य देश हमारे आर्किटेक्चर और हमारी प्रणाली का इस्तेमाल कर सकते हैं। हम राष्ट्रीय पहचान के लिए मानकों के वास्ते एक अंतररष्ट्रीय संस्थान के निर्माण में अंतराष्ट्रीय संगठनों के साथ भी सहयोग करना चाहेंगे।
यूआईडीएआई प्रणाली में प्रतिदिन पांच करोड़ से अधिक प्रमाण कार्य का प्रबंधन किया जाता है। सरकार की विभिन्न सेवाओं तक पहुंच को सक्षम करने के अलावा 99.5 प्रतिशत आबादी के पास अब मूल पहचान के रूप में यह उपलब्ध है।
शर्मा ने कहा कि पेटीएम और पेटीएम पेमेंट्स बैंक आधार प्रमाणीकरण के प्रबल लाभार्थी हैं, जिसने एपीआई का इस्तेमाल करते हुए अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) प्रक्रिया के लिए समय और आवश्यक प्रयास को कम कर दिया है।
