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अमेरिका डॉलर के मुकाबले रुपये में जारी गिरावट रहने से आईटी क्षेत्र की स्थिति मजबूत हुई है। दरअसल, भारत के आईटी क्षेत्र का ज्यादातर राजस्व अमेरिका से आता है। लिहाजा विशेषज्ञों का अनुमान है कि 31 दिसंबर, 2025 को समाप्त तिमाही में मुनाफे पर सकारात्मक प्रभाव होगा।
भारत का आईटी सेवा उद्योग अपना 90 प्रतिशत राजस्व वैश्विक मार्केट से हासिल करता है। वैश्विक राजस्व में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 57 प्रतिशत और यूरोप की हिस्सेदारी करीब 28 प्रतिशत है। क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक आदित्य झावरे ने बताया, ‘भारित-औसत आधार पर इस क्षेत्र का राजस्व मिश्रण और विदेशी मुद्रा की हेजिंग नीतियों पर है। रुपये में गिरावट होने पर विदेशी मुद्रा आधारित मध्य-एकल राजस्व वृद्धि होगी और यह उद्योग की कंपनियों के लिए परिचालन लाभप्रदता में सुधार में बदल सकती है।’
उन्होंने बताया, ‘हालिया मुद्रा रुझान दिसंबर 25 के बाकी अवधि में भी जारी रहने की उम्मीद है। इस तिमाही में डॉलर के मुकाबले रुपये में सालाना आधार पर 4.7 प्रतिशत अवमूल्यन का अनुमान जताया गया है। हालांकि यूरो की तुलना में अवमूल्यन ज्यादा हो सकता है और यह करीब 14 प्रतिशत हो
सकता है।’
अंडरअर्थइनसाइट के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपये में 1 प्रतिशत का अवमूल्यन होने की स्थिति में अमेरिका को निर्यात पर अत्यधिक आश्रित आईटी कंपनियों के संचालन मार्जिन में करीब 20 से 30 आधार अंक का सुधार होगा और राजस्व में उछाल आएगा।