दूरसंचार कंपनियों ने सस्ते स्पेक्ट्रम की आवश्यकता और शुल्क दरों में बढ़ोतरी पर जोर दिया है क्योंकि वे अगले साल 5जी सेवाओं को लॉन्च करने की तैयारी कर रही हैं।
वोडाफोन आइडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी रविंदर टक्कर ने कहा कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अनुसार, देश में 5जी सेवाओं को चालू करने के लिए 60 से 70 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। वह आज इंडियन मोबाइल कांग्रेस में बोल रहे थे। कम लागत वाले सस्ते स्पेक्ट्रम तक पर्याप्त पहुंच और भुगतान की आसान शर्तें आवश्यक हैं ताकि कंपनियां अपने निवेश के लिए योजना तैयार कर सकें। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर अवश्य निर्णय लेना चाहिए।
टक्कर ने कहा, ‘हम नई प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने और साझेदारी करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इससे हम भारत की ऐसी पहली दूरसंचार कंपनी बनेंगे जो 5जी उपयोग मामले में व्यापक दायरा विकसित करेगी। हमने अपने प्रमुख नेटवर्क के लिए क्लाउड को अपनाया है और हम अपने ट्रांसपोर्ट एवं रेडियो नेटवर्क को लगातार उन्नत बनाएंगे ताकि विशाल ट्रैफिक मांग के लिए आपूर्ति की जा सके। भविष्य में अरबों कनेक्टेड उपकरणों से व्यापक ट्रैफिक मांग पैदा होगी।’
फिलहाल देश में 5जी का परीक्षण जारी है और सरकार को अप्रैल से मई 2022 तक स्पेक्ट्रम की नीलामी होने की उम्मीद है। दूरसंचार नियामक ट्राई ने भी 5जी स्पेक्ट्रम मुद्दे पर परामर्श की पहल शुरू कर दी है।
आगामी स्पेक्ट्रम नीलामी में पिछली नीलामी में न बिक पाने वाले स्पेक्ट्रम के अलावा 526 से 698 मेगाहट्र्ज, 3300 से 3670 मेगाहट्र्ज, 3.3 से 3.67 गीगाहट्र्ज और 24.25 से 28.5 गीगाहट्र्ज बैंड में स्पेक्ट्रम को पहली बार नीलामी के लिए रखे जाने की उम्मीद है।
वोडाफोन आइडिया के सीईओ ने कहा कि दूरसंचार उद्योग को टिकाऊ बनाने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने की आवश्यकता है और उनमें सस्ती दरों पर स्पेक्ट्रम की बिक्री, करों को तर्कसंगत बनाना और मुकदमेबाजी में कमी लाना शामिल हैं।
पिछले महीने तीनों दूरसंचार कंपनियों ने प्रीपेड प्लान में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी।
भारती एंटरप्राइजेज के उपाध्यक्ष अखिल गुप्ता ने भी लगभग समान विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सरकारी राहत उपायों से कंपनियों को तात्कालिक राहत मिलेगी लेकिन हाल में शुल्क दरों में की गई वृद्धि महत्त्वपूर्ण है जो इस क्षेत्र के स्थायी वित्तीय प्रदर्शन की दिशा में उठाया गया एक एक छोटा कदम है। उन्होंने कहा, ‘उद्योग को सुरक्षित और स्थिर होने के लिए हमें कम से कम 300 रुपये प्रति महीने की एआरपीयू की आवश्यकता है।’
