सड़कों पर अंधाधुध दौड़ते व्यावसायिक वाहन अक्सर भयानक हादसों की वजह बनते हैं। लेकिन अब सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ऐसी दुर्घटनाओं पर लगाम की भरसक कोशिशें शुरू कर दी हैं।
इन पर लगाम लगाने के इरादे से ही एक निरीक्षण और देखरेख संबंधी कार्यक्रम (इंस्पेक्शन एंड मेंटीनेंस) तैयार किया जा रहा है, जिसके आधार पर यह तय किया जाएगा कि कोई वाहन सड़क पर उतरने लायक है या नहीं। ब्रिटेन के आईएंडएम कार्यक्रम की तर्ज पर बनाया गया यह कार्यक्रम पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप यानी निजी और सरकारी जुगलबंदी से लागू किया जाएगा। इसके लिए शुरुआती बजट 7 करोड़ रुपये रखा गया है, जो मंत्रालय मुहैया कराएगा।
कार्यक्रम के तहत समय-समय पर यह जानने की कोशिश की जाएगी कि कोई वाहन सड़क पर दौड़ने के योग्य है या नहीं। इसके लिए कई तरह के परीक्षण किए जाएंगे और नतीजों के हिसाब से सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। भारत जैसे देश के लिए इस तरह के कार्यक्रम की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां हर साल 1 लाख से भी ज्यादा लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं। यह दुनिया भर में सड़क हादसों हर साल होने वाली मौतों का 10 फीसदी है।
देश के इस पहले आईएंडएम कार्यक्रम का ब्लू प्रिंट नेशनल ऑटोमोटिव टेस्टिंग ऐंड आरएंडडी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट (नैट्रिप) ने किया है, जिसकी स्थापना भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय ने की थी। प्रस्तावित कार्यक्रम में देश के सभी कमर्शियल और पैसेंजर वाहनों का डाटा बेस तैयार करने की सिफारिश की गई है, जो देश के सभी हिस्सों में मौजूद आईएंडएम इंस्पेक्टरों को मुहैया होगा।
इसके साथ ही यह कार्यक्रम पूरी तरह स्वचालित होगा, जिसमें इंसानी दखलअंदाजी कोई गुंजाइश नहीं होगी। यह वर्तमान समय में आरटीओ पर की जाने वाली चेकिंग से बिल्कुल अलग है। नैट्रिप के तकनीकी निदेशक डॉ. जी.के.शर्मा का कहते हैं कि स्वचालित कार्यक्रम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे वाहन की निष्पक्ष जांच की जा सकेगी और भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं रह जाएगी जो आमतौर पर आरटीओ चेकिंग में देखने में आता है।
उम्मीद जताई जा रही है कि यह कार्यक्रम जुलाई में तैयार हो जाएगा और मंजूरी के लिए विभिन्न मंत्रालयों को भेजा जा सकेगा। शर्मा ने बताया कि शुरुआती दौर में यह इसे तीन शहरों में लागू किया जाएगा, जिनका नाम अभी तय नहीं किया गया है। बाद में इसे 30 शहरों तक पहुंचाने की योजना है। यूपी,बिहार, गुजरात और मध्यप्रदेश जैसे शहरों में, जहां वाहनों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, आईएंडएम की एक से ज्यादा इकाइयां लगाई जाएंगी।