अनुसंधान फर्म गार्टनर का कहना है कि साल 2022 में भारत का कुल आईटी खर्च साल 2021 के मुकाबले 7 फीसदी बढ़कर 101.8 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। भारत के आईटी खर्च में 2019 में 9.9 फीसदी और 2020 में 1.5 फीसदी की वृद्धि हुई थी जबकि गार्टनर ने 8.4 फीसदी गिरावट का अनुमान जाहिर किया था।
गार्टनर के उपाध्यक्ष (अनुसधान) अरूप रॉय ने कहा, ‘वैश्विक महामारी के कारण डिजिटल बदलाव का रुझान अगले कुछ वर्षों तक बरकरार रहने के आसार हैं।’ उन्होंने कहा, ‘भारत ने साल 2021 की शुरुआत में कोविड वैश्विक महामारी की दूसरी लहर से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देशों में शामिल होने के बावजूद तेजी से सुधार दर्ज किया है। साल 2022 के दौरान भारत में सीआईओ (मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी) नई परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण हासिल करने के लिए प्रौद्योगिकी में अधिक दिलचस्पी दिखाएंगे।’
भारतीय सीआईओ उन परियोजनाओं के लिए खर्च में बढ़ोतरी करेंगे जो नवाचार और पुरानी प्रणाली को आधुनिक बनाने को रफ्तार देती हों। इन जरूरतों को पूरा करने वाले कार्यबल की नियुक्ति भी उनकी पहली प्राथमिकता होगी। यह एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है जिसका सामना उद्योग पिछले दो वर्षों से कर रहा है क्योंकि वैश्विक महामारी के कारण डिजिटल बदलाव में काफी तेजी आई है। साल 2022 के दौरान भारत आईटी खर्च की सभी श्रेणियों में वृद्धि होने के आसार हैं जबकि सॉफ्टवेयर सबसे अधिक वृद्धि दर्ज करने वाली श्रेणी के तौर पर उभर सकती है।
सॉफ्टवेयर श्रेणी में कुल खर्च 2021 के मुकाबले करीब 14.4 फीसदी बढ़कर 10.5 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। गार्टनर का कहना है कि साल 2022 के दौरान सॉफ्टवेयर पर खर्च कोविड-पूर्व स्तर के मुकाबले लगभग दोगुना हो सकता है। हाइब्रिड कार्य मॉडल को पनाए जाने से भी आईटी उपकरणों पर खर्च में तेजी आएगी। साल 2022 के दौरान आईटी उपकरणों पर खर्च 2021 के मुकाबले 7.5 फीसदी बढ़कर 44 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
