मौजूदा वैश्विक मंदी के माहौल में विदेशी उच्चायोग और दूतावासों ने भारत में बिजनेस स्कूलों के साथ शैक्षिक गठजोड़ की संभावना तलाशनी तेज कर दी है।
संस्थानों का कहना है कि मंदी ने कई विदेशी अर्थव्यवस्थाओं के मूल्य में गिरावट आई है वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति इस मामले में तुलनात्मक रूप से काफी हद तक अच्छी है।
एसपी जैन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च (एसपीजेआईएमआर) के संकाय सदस्य प्रेम चंद्रानी ने कहा, ‘इन विदेशी उच्चायोगों और दूतावासों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के मामले में भारत अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में आ गया है जिसका श्रेय मंदी को दिया जा रहा है।
इसके अलावा कुछ लोग यह भी मानते हैं कि अतीत में चीन पर अधिक ध्यान दिया जाता रहा है और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। यह कार्य ऐसे शैक्षिक गठजोड़ों के जरिये किया जा सकेगा।’ चंद्रानी संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़े हुए हैं।
चंद्रानी ने बताया कि एजेंसियां छोटी अवधि के पाठयक्रमों, स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के अलावा अंतरराष्ट्रीय संकेंद्रण कार्यक्रमों के संदर्भ में अवसर तलाश रही हैं। उदाहरण के लिए, हाल में ही फ्रांसीसी दूतावास ने फ्रांस में एआईईएसईसी यूनिवर्सिटी के सहयोग से स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए एसपीजेआईएमआर से संपर्क किया है।
भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद (आईआईएम-ए) में भी उच्चायोगों और दूतावासों के जरिये विदेशी विश्वविद्यालयों से अनुरोधों की बाढ़ आ गई है। आईआईएम-ए की प्रबंधक (एमडीपी) शिखा गर्ग ने कहा, ‘यह सब उद्योग की जरूरतों पर आधारित है। अक्सर हमें प्रायोजक या सीआरएम, आईटी आधारित कार्यक्रमों, विपणन और कॉरपोरेट स्ट्रेटेजी जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित छोटी अवधि के पाठयक्रमों के लिए आवेदन प्राप्त होते रहे हैं।’
आईआईएम-ए में प्रबंधक (ग्लोबल पार्टनरशिप ऐंड कॉरपोरेट अफेयर्स) इशिता सोलंकी के मुताबिक संस्थान ने हाल में ही आस्ट्रेलियाई उच्चायोग के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। आस्ट्रेलियाई उच्चायोग ने एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए संस्थान से संपर्क किया था। इसके अलावा युगांडा के उच्चायोग से भी इस संबंध में बातचीत की जा रही है।
