टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन का कहना है कि इस दशक में भारत महत्त्वपूर्ण रूप से वैश्विक विकास दर का नेतृत्व करेगा, क्योंकि वैश्विक महामारी के बाद अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खुल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि महामारी ने देश के दीर्घकालिक विकास पथ को असलियत में प्रभावित नहीं किया है। चंद्रशेखरन ने कहा ‘इससे (महामारी) इसमें बस देरी हुई है, क्योंकि मूलभूत कारक – चाहे वह अर्थव्यवस्था का औपचारिकरण हो, युवा या मध्य आय वर्ग में आने वाले अधिक लोग, ये सब पूरी तरह से अक्षुण्ण है। इसके अलावा महामारी से पहले के नीतिगत सुधार, उसके दौरान होने वाला और अब जो हो रहा है, वह सब अनुकूल होने जा रहा है। वह प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख कार्यक्रम फ्यूचर रेडी में बात कर रहे थे।
उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि महामारी का मतलब कुछ पहलुओं में तेजी आना है, जैसे कि डिजिटल परिवर्तन और जीवन के डिजिटल तरीके को अंगीकार करना, लेकिन उन्होंने आगाह भी किया कि यह अंगीकार न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए अगर आप शिक्षा को लेते हैं, तो शहर के वे सभी बच्चे जिनके पास तकनीकी उपकरण तक पहुंच है और डिजिटल आधारभूत संरचना तक पहुंच है, वे ऑनलाइन स्कूली शिक्षा ले सकते हैं। लेकिन समान रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में बच्चों या गरीब लोगों के पास उपकरणों तक पहुंच नहीं थी और उनके पास डिजिटल बुनियादी ढांचे तक पहुंच नहीं थी, जो एक बड़ी समस्या है। और उन्हें सबसे बाद में पढ़ाया जाता है। इन लोगों के लिए स्कूली शिक्षा के कई साल बरबाद हो चुके हैं या कम से कम दो साल तो बरबाद हो रहे हैं।
उन्होंने इस बात को दोहराया कि सरकार नीति निर्माण पर ध्यान दे सकती है, लेकिन भारतीय कंपनी जगत को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा ‘अन्य चीजों के अलावा स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा तक पहुंच राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए।’ उन्होंने जिस अन्य बात पर जोर दिया वह थी स्थिरता। हालांकि उन्होंने वर्ष 2070 तक नेट जीरो का स्तर प्राप्त करने के साहसिक कदम के संबंध में सरकार की सराहना की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हमारे पास करने के लिए बहुत कुछ है – इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढऩा, वाणिज्यिक वाहनों के लिए हाइड्रोजन पर विचार करना; इस्पात, सीमेंट, अक्ष्य ऊर्जा जैसे हमारे प्रमुख क्षेत्रों को उपयोगिता स्तर पर और उपभोक्ताओं, दोनों के ही लिए पर्यावरण अनुकूल करना। इसलिए करने के लिए बहुत कुछ है।
जब डिजिटल को अपनाने की बात आती है, तो महामारी ने इसमें बहुत योगदान दिया है। चंद्रशेखरन ने कहा कि प्रबंधन परिवर्तन के मामले में भारत 10 साल आगे है। लेकिन प्रौद्योगिकी के मामले में उन्होंने कहा कि महत्त्वपूर्ण बात यह होगी कि एआई और एमएल जैसी प्रौद्योगिकी को सब के लिए प्रासंगिक बनाया जाए।
कार्यक्रम में विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी ने कहा कि यहां हाइब्रिड श्रमबल रहने वाला है, खास तौर पर भारत के सूचना प्रौद्योगिकी सेवा उद्योग में क्योंकि कंपनियां दूर से काम कर सकती हैं, लेकिन कर्मचारियों के साथ मजबूत संबंध निर्मित करना महत्त्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न उद्योगों में कई कंपनियां इसके (हाइब्रिड कार्य स्थल) के साथ प्रयोग कर रही हैं, लेकिन मुझे लगता है कि मूल रूप से यह महत्त्वपूर्ण है कि लोग जरूर वापस आएं और कभी न कभी हमारे सभी लोग वापस आएं।