भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) को विवादास्पद भारतीय 5जी मानक यानी 5जीआई के फायदे और नुकसान बताने के लिए कहा है। सरकार 5जीआई को बढ़ावा दे रही है मगर दूरसंचार कंपनियों के बीच इसके कारगर होने पर मतभेद पैदा हो गए हैं। इसीलिए ट्राई ने मानक के फायदों और खामियों पर प्रस्तुति देने को कहा है।
एयरटेल ने 5जीआई का विरोध किया है। यह चाहती है कि दुनिया भर में चल रहे 3जीपीपी मानक को ही इस्तेमाल किया जाए। उसका कहना है कि भारतीय मानक नेटवर्क और मोबाइल उपकरणों की लागत बढ़ाने के अलावा कुछ नहीं करेगा। साथ ही इससे दो अलग-अलग तकनीकों पर आधारित नेटवर्कों के आपसी तालमेल में भी दिक्कत आएगी। एयरटेल से इस बारे में सवाल पूछे गए मगर खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया था। उसकी प्रतिस्पद्र्घी रिलायंस जियो का कहना है कि अगर स्वदेशी तकनीक से नेटवर्क की गुणवत्ता कम नहीं होती और लागत नहीं बढ़ती तो वह उसका समर्थन करेगी।
ट्राई ने सीओएआई को यह बताने का निर्देश भी दिया है कि दूरसंचार कंपनियां और मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) भारतीय मानक को किस हद तक स्वीकार कर रहे हैं।
भारतीय मानकों का विकास आईआईटी ने सरकार समर्थित दूरसंचार मानक विकास सोसाइटी (टीएसडीएसआई) के साथ मिलकर किया है। यह मानक बेहद लंबी दूरी तक काम करने वाली सेल साइट की मदद से ग्रामीण इलाकों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी दे सकता है। यही वजह है कि सरकार दूरसंचार कंपनियों को 5जीआई आधारित परीक्षणों के लिए कह रही है।
उधर सीओएआई ने ट्राई के लिए तैयार प्रस्तुति का मसौदा अपने सदस्यों में बांटा है, जिसमें कहा गया है कि टीएसडीएसआई यह नहीं दिखा पाई है कि 5जीआई ग्रामीण भारत में 3जीपीपी के मुकाबले बेहतर है। मसौदे में यह भी कहा गया है कि 3जीपीपी पर आधारित 5जी तकनीक ने ग्रामीण इलाकों में बेहतर कवरेज दी है। जियो का तर्क है कि टीएसडीएसआई अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) को दिखा चुकी है कि 5जीआई कवरेज को बेहतर बनाती है और इसीलिए इसको व्यापक स्तर पर स्वीकार किया जा रहा है। मगर एयरटेल के अधिकारियों का कहना है कि 3जीपीपी के प्रदर्शन के दस्तावेज सार्वजनिक किए गए हैं और अगर जियो के पास कुछ और आंकड़े हैं तो वह उनका जिक्र करे। एयरटेल ने मसौदे में कही इस बात का भी विरोध किया है कि 5जीआई को स्टैंडअलोन (जिसे जियो इस्तेमाल करना चाहती है) और नॉन-स्टैंडअलोन (4जी कोर के साथ, जिसे एयरटेल इस्तेमाल करना चाहती है) 5जी नेटवर्क में उपयोग किया जा सकता है। उसका कहना है कि मौजूदा फीचर्स के हिसाब से 5जीआई को नॉन-स्टैंडअलोन 5जी नेटवर्क में लागू नहीं किया जा सकता।
जियो चाहती है कि मसौदे में यह तथ्य शामिल किया जाए कि टीएसडीएसआई 5जीआई के बदलावों का तालमेल नए और अद्यतन 3जीपीपी 5जी स्पेसिफिकेशन के साथ बिठाने की कोशिश कर रही है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद आईटीयू मान सकता है कि 5जी और 5जीआई के बीच तालमेल है। ऐसा हुआ तो केवल एक वैश्विक 5जी मानक होगा। इस बीच दूरसंचार उपकरण बनाने वाली एक कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, ‘नए 5जी स्पेसिफिकेशन जारी करने में कुछ समय लगेगा। तो क्या भारत 5जी की शुरुआत को दो साल और लटकाने के लिए तैयार है?’