प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pixabay
भविष्य में सॉफ्टवेयर तैयार करने वाली कंपनियों को समस्या निवारण, स्पष्ट संवाद और आगे बढ़ने की सोच जैसी खूबियों के साथ तैयार रहना होगा। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के आने के बाद कई कोडिंग के स्वचालित हो जाने से सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए ये खूबियां जरूरी हो गई हैं। गिटहब के मुख्य परिचालन अधिकारी काइल डेगल ने यह बात कही।
डेगल ने कहा कि कोड दुरुस्त एवं भरोसेमंद बनाने के लिए इन कंपनियों को न केवल कोडिंग सीखनी होगी बल्कि इस पर भी नजर रखनी होगी कि एआई एजेंट क्या कर रहे हैं।
पहली बार भारत यात्रा पर आए डेगल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से एक खास बातचीत में कहा, ‘कोडिंग सीखने से कोड लिखने की क्षमता मिल जाती है, लेकिन इसे सिखाना ज्यादा महत्त्वपूर्ण है और यह प्रणाली इसी तरह काम करती है।’ उन्होंने कहा कि एक डेवलपर के तौर पर तकनीक मुझे अधिक ताकतवर बनाएगी। डेगल ने कहा कि ओपन सोर्स के जरिये उन समस्याओं का समाधान अब आसान हो गया है जो पहले वित्तीय तौर पर असंभव लगते थे।
उन्होंने कहा, ‘समस्या निवारण सुनने में जितना सरल लगता है उतना सरल है नहीं। इसके लिए कई प्रकार के कौशल सीखने पड़ते हैं। सॉफ्टवेयर विकसित करने की क्या जरूरत है, इसे कैसा विकसित किया जाए और हम इस काम में कैसे असफल हो सकते हैं आदि कुछ गंभीर सवाल हैं। डेवलपरों के साथ खुले संवाद भी काफी महत्त्वपूर्ण होते हैं।‘
उन्होंने कहा कि कंपनियों को आगे बढ़ने की सोच रखनी होगी। डेगल ने कहा, ‘इसका मतलब कुछ नई चीज सीखने की ललक होनी चाहिए और किसी तरह के बदलाव से डरना नहीं चाहिए। तकनीक इतनी तेजी से बदल रही है कि अब यह अनुमान लगाना भी मुश्किल हो गया है कि अगले तीन महीनों में क्या होगा।‘
उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि स्वचालन से भारत में सॉफ्टवेयर तैयार करने वाली कंपनियों (डेवलपर) की संख्या कम हो जाएगी। अमेरिका के बाद भारत गिटहब के लिए दूसरा सबसे बड़ा डेवलपर देश है। अमेरिका की इस कंपनी को लगता है कि 2028 तक भारत डेवलपर का सबसे बड़ा देश बन जाएगा। भारत में इस समय 1.8 करोड़ ओपन सोर्स डेवलपर हैं और हरेक तिमाही इनकी संख्या 10 लाख बढ़ रही है। उन्होंने कहा, ‘हमने 1 अरब डेवलपर जोड़ने का साहसिक लक्ष्य रखा है और यह लक्ष्य भारत की मदद से ही पूरा होगा।‘
इस सवाल पर कि जेन एआई उम्मीद के अनुरूप क्यों नहीं अपनाई गई है, डेगल ने कहा कि इसके लिए काफी हद तक एआई यूज केस को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। विशेषज्ञों ने इसके लिए प्रबंधन में बदलाव और उन समस्याओं को जिम्मेदार माना है जिन्हें जेनएआई की मदद से दूर करने का लक्ष्य रखा गया था।
उन्होंने कहा, ‘इन कार्यों में जब आप जेनएआई को लाने की कोशिश करते हैं तो समस्या खड़ी हो जाती है। इस वजह से कार्य करने का तरीका बदलना पड़ता है या चैट यूजर अनुभव से गुजरना पड़ता है। मुझे लगता है कि दूसरों को अलग तरीके से सोचने के लिए कहने से जुड़े दर्द को हम ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं।‘