चुनाव के साथ ही आईपीएल मैचों से मल्टीप्लेक्स, न्यूज चैनलों और मनोरंजन चैनलों के कारोबारी गणित का चक्रव्यूह उलटा पड़ता नजर आ रहा है।
एक तरफ न्यूज चैनलों को चुनावी समर के बावजूद आईपीएल की वजह से कम विज्ञापन मिलने की संभावना है। दूसरी ओर दर्शकों को इस बार क्रिकेट के रोमांच का अनुभव कराने के लिए मल्टीप्लेक्सों ने तैयारी की है लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पा रही है।
आईनॉक्स के प्रमुख उत्पल अचार्य का कहना है, ‘आईपीएल का शो अगर मल्टीप्लेक्स में दिखाया जाता तो दर्शकों की भारी तादाद आ सकती थी लेकिन अभी तक डब्ल्यूएसजी ने निविदाओं पर कोई फैसला नहीं णलिया है। ऐसे में मल्टीप्लेक्स में मैच दिखाए जाने के आसार कम हैं।’ हालांकि आईपीएल मैच दिखाए जाने से मंदी के माहौल में मल्टीप्लेक्सों की रौनक तो बढ़ेगी ही, साथ ही कमाई के आसार भी बनेंगे।
विज्ञापन पर फर्क
सेटमैक्स को केबल प्रसारण और डीटीएच के अधिकार मिले हैं। इस दफा टेलीविजन पर विज्ञापन खर्च पिछले साल के मुकाबले ज्यादा ही होने की उम्मीद है। खबरें ऐसी भी हैं कि सेटमैक्स ने पहले से ही विज्ञापन की दरों में 30 से 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है।
अगर आईपीएल मैच दिखाने का थियेटर अधिकार मिल जाता है तो सेटमैक्स के दर्शकों की संख्या प्रभावित हो सकती है। विज्ञापन जगत के सूत्रों का कहना है कि सेटमैक्स 10 सेकंड के विज्ञापन के लिए पिछले साल के 2-2.50 लाख रुपये के मुकाबले 3-3.50 लाख रुपये तक ले सकती है।
सेमीफाइनल और फाइनल मैच के लिए यह आंकड़ा 4-5 लाख रुपये प्रति 10 सेकंड भी होने की उम्मीद है जबकि पिछले साल सेमीफाइनल और फाइनल मैच के लिए यह दर 3-3.50 लाख रुपये प्रति 10 सेकंड थी। सोनी ने 5-6 प्रायोजकों के साथ समझौता किया है। इनमें वोडाफोन, एयरटेल-डीटीएच, पेप्सी और हीरो होंडा शामिल हैं।
सोनी के लिए प्रायोजकों की तादाद बढ़कर 30-32 हो जाएगी। आईपीएल मैचों के दौरान टीवी पर विज्ञापनों की भरमार तो देखी जा सकती है लेकिन चुनावी विज्ञापन नहीं दिखाए जाएंगे। सेटमैक्स ने चुनावी विज्ञापन दिखाए जाने के लिए आईपीएल काउंसिल से बातचीत की थी लेकिन इस पर कोई बात नहीं बन पाई।
सूत्रों की मानें तो इस बार राजनीतिक दल चुनावी विज्ञापन पर 1,000 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं। कांग्रेस के विज्ञापनों की कमान संभालने वाली क्रेयॉन्स विज्ञापन एजेंसी के प्रेसीडेंट रंजन बड़गोत्रा का कहना है, ‘आईपीएल राजनीतिक विज्ञापनों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है लेकिन यह एकमात्र विकल्प नहीं है।’
चैनलों की मुश्किलें
आईपीएल मैचों और चुनाव से भी मनोरंजन चैनलों की टीआरपी का जबरदस्त नुकसान हो सकता है। कई मनोरंजन चैनल अपने कार्यक्रमों में फेरबदल कर रहे हैं ताकि दर्शकों को लुभाया जा सके।
स्टार प्लस के कार्यकारी उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक किर्तना आद्यंतया का कहना है, ‘पिछले साल मैच के शुरुआती हफ्ते में चैनलों की हिस्सेदारी 25 फीसदी तक कम हुई थी लेकिन विज्ञापनदाता मनोरंजन चैनलों के दर्शकों को नजरअंदाज नहीं कर सकते।’ वहीं न्यूज चैनलों को भी अपनी रणनीति में फेरबदल करना पड़ रहा है।
आईबीएन 7 के मैनेजिंग एडिटर आशुतोष का कहना है, ‘यकीनन देश में क्रिकेट के प्रेमी आईपीएल के बारे में भी जानना चाहेंगे और लोकसभा का चुनाव भी हमारे लिए खास है। ऐसे में हमें दर्शकों के लिए अपनी प्रोग्रामिंग में थोड़ा बदलाव करना ही पड़ेगा ताकि राजनीति की खबरों के साथ खेल की खबरों पर भी हमारी नजर बनी रहे।’
यह पूछे जाने पर कि आईपीएल से चुनाव के वक्त न्यूज चैनलों के कारोबार पर कितना फर्क पड़ सकता है, उनका कहना था कि, ‘आईपीएल नहीं होता तो विज्ञापनदाताओं का रुझान निश्चित तौर पर न्यूज चैनलों पर ही होता। वैसे अब तो 40-50 फीसदी तक का फर्क पड़ने वाला है।’
कैसा होगा कारोबार
अच्छी फिल्में रिलीज न होने से मल्टीप्लेक्सों को नुकसान हो ही रहा है। ऐसे में अगर आईपीएल मैच मल्टीप्लेक्स में दिखाए जाते हैं तो फायदा ही होगा। लेकिन मल्टीप्लेक्सों को मैच के लिए, दर्शकों की संख्या कम रहने पर भी पूरा मनोरंजन कर चुकाना पड़ेगा। अगर लोग मैच देखने मल्टीप्लेक्स नहीं जाते हैं तब सेटमैक्स अपनी विज्ञापनों दरों को बढ़ाकर खूब फायदा कमाने वाली है।
मुद्रा मैक्स के पूर्व प्रमुख चंद्रदीप मित्रा का कहना है, ‘पिछले साल की ही तरह मैच के प्रसारण से 400-500 करोड़ रुपये तक की कमाई की उम्मीद है।’ गौरतलब है कि सोनी इंटरटेनमेंट टेलीविजन और सिंगापुर के वर्ल्ड स्पोर्टस गु्रप को 10 साल तक का आईपीएल के दुनिया भर में प्रसारण का अधिकार मिला है, इसके लिए उन्हें 1.026 अरब डॉलर खर्च करने पड़ो।
सोनी भारतीय उपमहाद्वीप में और डब्ल्यूएसजी उत्तरी, मध्य, दक्षिणी अमेरिका और मेक्सिको के अलावा कुछ और देशों में मैच का प्रसारण करेगा।
फैसले का इंतजार
गौरतलब है कि डब्ल्यूएसजी ने थियेटर अधिकार के लिए निविदाएं मंगाई हैं। इनमें यूटीवी, पीवीआर और ग्रुप एम के साथ कुल छह खिलाड़ियों ने हिस्सेदारी ली है लेकिन अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। मल्टीप्लेक्स इंडस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि डब्ल्यूएसजी को लगता है कि मल्टीप्लेक्स में मैच दिखाए जाने से टीवी के दर्शकों की संख्या कम होने से रेटिंग में नुकसान हो सकता है।
इसके अलावा एक और वजह यह है कि डब्ल्यूएसजी ज्यादा से ज्यादा पैसे की बोली की ख्वाहिश में है। उत्पल अचार्य का कहना है, ‘अगर ज्यादा पैसे की बोली लगती है तो, लागत की भरपाई के लिए मल्टीप्लेक्स के साथ ही सिंगल स्क्रीन पर भी मैच दिखाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।’
वर्ष 2008 में आईपीएल के मौसम में बॉक्स ऑफिस की कमाई काफी प्रभावित हुई थी। इसी साल पहली तिमाही में पीवीआर की कमाई 35.3 फीसदी कम हो गई थी।