इन्फोसिस कर्मियों के प्रशिक्षण पर करती है 750 करोड़ रुपये खर्च

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 3:05 PM IST

सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इन्फोसिस टेक्नोलॉजीज उन कुछ चुनिंदा आईटी कंपनियों में से है जो देश के  शीर्ष कॉलेजों से छात्रों की नियुक्ति करती है।


बावजूद इसके कंपनी के खर्च का एक बड़ा हिस्सा कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने में खर्च होता है। कंपनी के निदेशक और प्रमुख (मानव संसाधन, शिक्षा और शोध) टी वी मोहनदास पई का कहना है, ‘हमारे देश की शिक्षा पद्धति में कई खामियां हैं। इस कारण हम उद्योग की जरूरत के अनुसार इंजीनियर नहीं दे पा रहे हैं। इसीलिए नियुक्तियां करने के बाद भी हमें उन लोगों को लंबे समय तक प्रशिक्षण देना पड़ता है।

यही कारण है कि हमें प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना भी करनी पड़ती है। लगभग 4 महीने के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान हमारा खर्च प्रति व्यक्ति लगभग 2,50,000 रुपये आता है। कुल मिलाकर हम साल भर में अपने कर्मचारियों के प्रशिक्षण और शिक्षा पर लगभग 750 करोड़ रुपये खर्च करते हैं।’

टी वी मोहनदास पई का कहना है कि हमें वह सब करना पड़ता है जो कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को करना चाहिए था। देश की शिक्षा पद्धति में बदलाव लाने के लिए हमने ‘कैंपस कनेक्ट’ नाम से कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत हम कॉलेजों में छात्रों को प्रशिक्षण नहीं दे रहे हैं बल्कि कॉलेजों के शिक्षकों को ट्रेनिंग दे रहे हैं जिससे हमें बेहतर छात्र मिले। अभी तक हम 502 कॉलेजों में लगभग 2300 शिक्षकों को इसके तहत प्रशिक्षण दे चुके हैं।

क्या कंपनी विकसित देशों से नियुक्त किए गए लोगों के प्रशिक्षण पर भी खर्च करती है? इस सवाल पर टी वी मोहनदास ने बताया कि अमेरिका में किसी को  4 महीने का प्रशिक्षण देने पर लगभग 21.25 लाख रुपये प्रति व्यक्ति खर्च आएगा। लेकिन अमेरिका की शिक्षा पद्धति काफी बेहतर है। इसीलिए हम वहां पर सिर्फ 15 दिनों का प्रशिक्षण ही देते हैं।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का फायदा

कंपनी के अनुसार उनके कर्मचारी काफी योग्य होते हैं। जब वे दूसरी कंपनियों में नौकरी करने जाते हैं तो उन्हें वहां काफी अच्छा वेतन दिया जाता है। पई का कहना है कि हमारे उच्च स्तर के कारण लगभग 4.5 फीसदी कर्मचारी हमारे प्रशिक्षण कार्यक्रम में उत्तीर्ण नहीं हो पाते हैं। इसकी वजह यह भी है कि हम सभी इंजीनियरों की नियुक्ति करते हैं न कि सिर्फ आईटी इंजीनियरों की।

नौकरी छोड़ने वालों की संख्या

उद्योग जगत में नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारियों की दर लगभग 16-17 फीसदी है। लेकिन कंपनी का आंकड़ा पिछले एक साल से इस तिमाही तक 13.7 फीसदी था। इसमें से भी 1.5 फीसदी लोगों ने अपनी मर्जी से कंपनी नहीं छोड़ी थी। मतलब यह लोग कंपनी के प्रशिक्षण कार्यक्रम में सफल नहीं हो सके थे।

पई बताते हैं कि आमतौर पर हम कैंपस से 55-60 फीसदी नियुक्तियां करते हैं। क्योंकि इस क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगों का मिलना काफी मुश्किल होता है। इसीलिए हम कॉलेजों से नए लोगों की नियुक्ति कर उन्हें प्रशिक्षण देते हैं। इन्फोसिस ने अभी तक लगभग 50,000 लोगों को प्रशिक्षण दिया है। यह आंकड़ा उन लोगों का है, जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत हमारे साथ की और अब दूसरी कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं। अभी तक लगभग 95,000 लोगों ने हमारे साथ काम किया है। लेकिन पिछले 16 साल में लगभग 50,000 लोगों ने कंपनी छोड़ी है।

छोटे शहरों पर कंपनी की नजर

टी वी मोहनदास पई छोटे शहरों से नियुक्तियों को प्रोत्साहित करते हैं। उनका कहना है, ‘मेरा मानना है कि सबका बौद्धिक स्तर एक ही होता है चाहे वह किसी भी राज्य का हो। देखिए बड़े शहरों के छात्र बेहतर प्रशिक्षित, बेहतर शिक्षित और बेहतर कम्युनिकेशन स्किल वाले होते हैं। जबकि कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और बिहार के शहरों के छात्र काफी तेज होते हैं बस उनके पास बातचीत का कौशल नहीं होता है। बड़े शहरों से आने वाले छात्र अच्छा करते हैं जबकि छोटे शहरों के छात्रों को काफी मेहनत करनी पड़ती है।’

First Published : August 6, 2008 | 12:00 AM IST