रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने घोषणा की है कि वह वर्ष 2026 तक लीथियम फेरस फॉस्फेट (एलएफपी) प्रौद्योगिकी के साथ बैटरी रसायन, सेल और पैक निर्माण के लिए विशाल बैटरी फैक्टरी स्थापित कर रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग को लीथियम निकल मैंगनीज कोबाल्ट (एलआई-एनएमसी) की मौजूदा बैटरी तकनीक से उभरती एलएफपी बैटरी तकनीक की दिशा में बढ़ने के लिए बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।
यूबीएस के अनुमान के मुताबिक एलएफपी बैटरी द्वारा संचालित वैश्विक ईवी वर्ष 2030 तक वैश्विक बाजार का 40 प्रतिशत हिस्सा हो सकते हैं, जबकि फिलहाल यह अनुमान 17 प्रतिशत है। टेस्ला, रिवियन और फोर्ड जैसी कंपनियां इस प्रौद्योगिकी पर बड़ा दांव लगा रही हैं।
भारत में ईवी बिक्री में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाली ओला इलेक्ट्रिक और एथर एनर्जी जैसी प्रमुख इलेक्ट्रिक दोपहिया कंपनियां कई वर्षों से एलएफपी प्रौद्योगिकी पर काम कर रही हैं। दिल्ली की ओकाया इलेक्ट्रिक पहले ही स्कूटर क्षेत्र में अन्य इलेक्ट्रिक स्कूटरों के मुकाबले विपणन के प्रमुख अंतर वाले कारक के रूप में एलएफपी बैटरी का उपयोग करने वाली पहली कंपनी बन गई है।
यात्री कारों में टाटा मोटर्स अपनी सभी इलेक्ट्रिक कारों – नेक्सन, टिगोर और टियागो में एलएफपी बैटरी का इस्तेमाल कर रही है। सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार विनिर्माताओं की बैटरी भारत में टाटा ऑटोकॉम्प द्वारा असेंबल की जाती है, जिसका चीन की कंपनी गुओक्सुआन हाई-टेक के साथ संयुक्त उद्यम है। इसका एक उदाहरण एमजी मोटर्स है, जिसने हाल ही में अपना किफायती मॉडल कॉमेट पेश किया है।
बैटरी कंपनियां दोनों तरह की बैटरी बनाने के लिए कतारबद्ध हो रही हैं। इनमें चीन की एसवीओएलटी की प्रौद्योगिकी के साथ एक्साइड, अमर राजा और पैनासोनिक जैसे कुछ नाम शामिल हैं। एलएफपी बैटरियों के कुछ फायदे होते हैं। उनका निर्माण सस्ता होता है, उन्हें निकल (जिसकी कीमत यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद बढ़ गई है, जो इसका प्रमुख आपूर्तिकर्ता है) की आवश्यकता नहीं होती है और न ही कोबाल्ट (यह मुख्य रूप से कांगो में उपलब्ध है, जहां मानवाधिकारों का उल्लंघन मसला बना हुआ है) की जरूरत होती है।
दरअसल एलएफपी कैथोड को केवल आयरन और फॉस्फेट की ही आवश्यकता होती है, जो दुनिया भर और भारत में प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। इनकी दाम भी स्थिर हैं। एथर एनर्जी के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी तरुण मेहता ने कहा ‘एलएफपी सस्ता और सुरक्षित है तथा हम इस पर लंबे समय से काम कर रहे हैं।’
ग्राहकों के नजरिये से भी एलएफपी बैटरियां अधिक सुरक्षित हैं और लंबे वक्त तक साथ देती हैं। इलेक्ट्रिक स्कूटरों में सबसे पहले बैटरी का उपयोग करने वाली ओकाया इलेक्ट्रिक के मुख्य कार्याधिकारी अंशुल गुप्ता ने कहा कि बड़ा अंतर सुरक्षा का है। बैटरी धुआं छोड़ेगी, लेकिन स्कूटर में आग नहीं लगेगी या विस्फोट नहीं होगा। बैटरी का जीवनचक्र एनएमसी बैटरी से कम से कम दोगुना (सात से 10 वर्ष) रहता है।
एलएफपी बैटरियां एनएमसी बैटरियों की तुलना में पर्यावरण के अधिक अनुकूल होती हैं क्योंकि उनके निपटान के वक्त कोबाल्ट के पर्यावरण में जाने की कोई चिंता नहीं होती है। इनका दूसरा पहलू यह है कि एलएफपी बैटरियों को भंडारण के लिए अधिक जगह की आवश्यकता होती है (हालांकि इस समस्या को हल करने के लिए डिजाइन में बदलाव किया जा रहा है) और उनमें ऊर्जा की सघनता कम होती है। इसका मतलब यह है कि एक बार के चार्ज में इनकी रेंज काफी कम होती है। इलेक्ट्रिक स्कूटरों के लिए शायद इससे कोई समस्या न हो, लेकिन यात्री कारों के लिए निश्चित रूप से होगी।