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LPG घटाकर सिटी गैस बढ़ाने के आदेश

सरकार का सुधारात्मक कदम, एपीएम गैस की कमी के बीच सीएनजी कीमतों पर नियंत्रण की कोशिश

Last Updated- January 03, 2025 | 10:44 PM IST
natural gas

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने गेल और ओएनजीसी से 1.27 मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन (एमएमएससीएमडी) प्राकृतिक गैस को सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) फर्मों को देने को कहा है। अब 31 दिसंबर को जारी आधिकारिक आदेश के मुताबिक नए कुओं से मिलने वाली प्राकृतिक गैस का आवंटन इसी अनुपात में मात्रा के आधार पर कंपनियों को किया जाएगा।

यह कदम केंद्र द्वारा पिछले साल नवंबर तक लगातार दो महीनों में सीजीडी कंपनियों को प्रशासित मूल्य व्यवस्था (एपीएम) आवंटन में 20 प्रतिशत की कटौती के बाद एक सुधारात्मक उपाय के रूप में उठाया गया है। इसके कारण शहरी गैस खुदरा विक्रेताओं ने सीएनजी की कीमतों में 2-3 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी की थी, क्योंकि उन्हें आपूर्ति को अधिक महंगी गैर-एपीएम गैस या आयातित तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) से बदलना पड़ा था।

सीजीडी को पुराने क्षेत्रों से गैस मिलती है, जिसे विनियमित या एपीएम गैस कहा जाता है। इसकी कीमत सरकार तय करती है। वहीं दूसरी तरफ नए कुओं से गैस की कीमत तय करने में भारत के कच्चे तेल की कीमतों से जुड़े फॉर्मूले का इस्तेमाल होता है। इस समय एपीएम गैस के लिए सीलिंग मूल्य 6.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू है, जो 2027 तक सालाना 0.5 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू बढ़ सकती है।

बहरहाल नए कुओं से उत्पादन गैस की लागत 2 डॉलर अतिरिक्त पड़ती है। प्राकृतिक रूप से गिरावट के कारण एपीएम गैस की हिस्सेदारी लगातार गिर रही है और केंद्र सरकार कुल मिलाकर गैस की मात्रा में कमी के कारण सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन में प्रशासित मूल्य व्यवस्था वाली गैस की आपूर्ति घटा रही है।

सरकार को सौंपी बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट में किरीट पारेख समिति ने पिछले साल कहा था कि भारत को पुराने क्षेत्रों से निकाली गई प्राकृतिक गैस के लिए पूरी तरह से मुक्त और बाजार द्वारा निर्धारित मूल्य निर्धारण करना चाहिए तथा 1 जनवरी, 2027 तक सभी सीमाएं हटा देनी चाहिए। बहरहाल एपीएम गैस की कमी समय से पहले हो गई। ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने पहले अनुमान लगाया था कि घरेलू गैस आवंटन 2025 के मध्य तक पूरी तरह से समाप्त हो सकता है।

First Published - January 3, 2025 | 10:44 PM IST

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