केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को मौजूदा खनन पट्टा क्षेत्र के गैर खनिज क्षेत्र में खनिज व अतिरिक्त कचरा पाटने यानी उसके निस्तारण की इजाजत दे दी है। इसका उद्देश्य खनन गतिविधियों को सुचारु रूप से चलाने के साथ-साथ उद्योग की चुनौतियों को हल करना है। खान मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ सहित कई राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए सवाल से संबंध में यह स्पष्टीकरण जारी किया। केंद्र का यह स्पष्टीकरण सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप भी है जिसके मुताबिक अधिकृत खनन पट्टा क्षेत्र के बाहर कचरा डंपिंग प्रतिबंधित है।
खान मंत्रालय के अनुसार खान और खनिज (विकास और नियमन) अधिनियम, 1957 में गैर खनिज क्षेत्र का इस्तेमाल खनन पट्टे की सहायक गतिविधियों जैसे कूड़ा पाटने के लिए भी किया जा सकता है। यह व्याख्या खान अधिनियम, 1952 के अनुरूप भी है। इस अधिनियम में कचरा जमा करने वाले क्षेत्र को भी खान परिसर के रूप में पारिभाषित किया गया है।
इसी क्रम में खनिज रियायत नियम, 2016 का नियम 57 जोर देता है कि पट्टा क्षेत्र में ऐसे सहायक क्षेत्र शामिल हो सकते हैं। अतिरिक्त कचरे में खनिज भंडार हासिल करने के लिए हटाई गईँ चट्टानें, मिट्टी और अन्य अतिरिक्त सामग्री शामिल होती हैं। इन सामग्रियों का प्रबंधन खान संचालन की सुरक्षा व दक्षता के लिए जरूरी होता है।
राज्य सरकारों को खनिज विकास को प्रोत्साहन देने के लिए कचरा पाटने के लिए अतिरिक्त गैर खनिज क्षेत्र आवंटित करने का अधिकार दिया गया है। यह क्षेत्र मौजूदा खनन पट्टे में शामिल हो सकता है और यदि यह क्षेत्र खनन पट्टे के समीप मौजूद है तो इसे इसे बिना नीलामी के भी आवंटित किया जा सकता है।