इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव | फाइल फोटो
भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर क्षेत्र में शीर्ष स्थान हासिल करने की दौड़ में है और वह चिप डिजाइन, आधुनिक पैकेजिंग एवं प्रतिभा विकास में तेजी से प्रगति कर रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सुरजीत दास गुप्ता को एक ईमेल साक्षात्कार में इन महत्त्वाकांक्षाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने 2032 तक भारत को शीर्ष पांच सेमीकंडक्टर देशों में से एक बनाने के सरकार के लक्ष्य को स्पष्ट किया और सेमीकॉन इंडिया 2025 को वैश्विक सहयोग, निवेश और देश के उभरते सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र को प्रदर्शित करने की दिशा में प्रमुख प्लेटफॉर्म करार दिया। प्रमुख अंश :
सरकार ने भारत के सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के पहले चरण के लिए लगभग 10 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है। अभी किन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा रहा है और भारत को शीर्ष पांच सेमीकंडक्टर देशों में लाने की योजना और समय-सीमा क्या है?
भारत का लक्ष्य वैश्विक सेमीकंडक्टर मूल्य श्रृंखला का अभिन्न हिस्सा बनना है। विभिन्न क्षेत्रों में अनुप्रयोगों वाले आधारभूत उद्योग के रूप में डिजाइन, उपकरण, रसायन, गैस, कच्चे माल और शोध एवं विकास को शामिल करते हुए इसका व्यापक तंत्र विकसित करना जरूरी है। छह दशकों से भी ज्यादा समय से अधूरा एक सपना अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आखिरकार साकार हो रहा है। अब हम उपकरण और सामग्री सहित सेमीकंडक्टर मूल्य श्रृंखला के अगले चरणों की तैयारी कर रहे हैं। उनके मजबूत मार्गदर्शन ने कम समय में ही बड़ी प्रगति की है। पहली मेड-इन-इंडिया चिप को जल्द ही पेश किया जाएगा। हम मिशन शुरू करने के 10 वर्षों के अंदर 2032 तक शीर्ष पांच सेमीकंडक्टर देशों में से एक बनने की राह पर तेजी से बढ़ रहे हैं।
आपने बताया कि सरकार अगले पांच वर्षों में चार से छह नए फैब्रिकेशन (फैब) प्लांट, 10 आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्ट (ओएसएटी) प्लांट और 6 से 10 कंपाउंड सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने पर विचार कर रही है। क्या सब्सिडी की जरूरतों को देखते हुए यह संभव है या रणनीति अलग होगी?
हमारे लक्ष्य भारत की तेजी से बढ़ रही सेमीकंडक्टर मांग को देखते हुए वास्तविक लग रहे हैं और हम उन्हें पूरा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। ओएसएटी संयंत्र के लक्ष्य मौजूदा कार्यक्रम के तहत पूरे किए जाएंगे। एक सिलीकॉन फैब और एक कम्पाउंड फैब को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। इन शुरुआती सफलताओं को देखते हुए उद्योग को अगले पांच साल में कई और फैब के आने का अनुमान है।
ईकोसिस्टम बनाने की दिशा में कितनी प्रगति हुई है?
आईएसएम के तहत अब तक 10 सेमीकंडक्टर संयंत्रों को मंजूरी दी जा चुकी है – आठ असेंबली, परीक्षण, मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी) संयंत्र और दो फैब। चिप डिजाइन, आधुनिक पैकेजिंग, कंपाउंड सेमीकंडक्टर, उपकरण, सामग्री और प्रतिभा विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। इन विनिर्माण परियोजनाओं के अलावा 72 स्टार्टअप/सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों और 278 शैक्षणिक संस्थानों को डिजाइन संबंधित इन्फ्रास्ट्रक्चर सहायता प्राप्त हुई है।
500 कंपनियों की भागीदारी वाले सेमीकॉन इंडिया से किन मुख्य लाभों की उम्मीद है? क्या आप लगता है कि भारत वेफर निर्यात का केंद्र बनेगा?
सेमीकॉन इंडिया 2022 से हर साल आयोजित होता है और यह वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए प्रमुख मंच है जहां नेता, नीति निर्माता, विशेषज्ञ और शिक्षाविद एक साथ जुड़ते हैं। यह सहयोग को बढ़ावा देता है, नवाचारों को प्रदर्शित करता है और भारत की वैश्विक सेमीकंडक्टर उपस्थिति को मजबूत करने के लिए महत्त्वपूर्ण पहलों की घोषणा करता है। सेमीकॉन इंडिया 2025 एक तीन-दिवसीय कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम 18 से अधिक देशों के प्रतिनिधिमंडलों, 30 से अधिक सीएक्सओ, 350 से अधिक प्रदर्शकों और दुनिया भर के सेमीकंडक्टर प्रेमियों का स्वागत करेगा। यह सम्मेलन उद्योग जगत के दिग्गजों, स्टार्टअप्स और युवा प्रतिभाओं के बीच व्यावसायिक चर्चाओं, समझौता ज्ञापनों और साझेदारियों को गति प्रदान करेगा।