उद्योग

बड़ी कंपनियां बिजली के खर्च में बचा रहीं करोड़ों, जानें 20 साल में कैसे बदली तस्वीर

कैसे कंपनियां बिजली के खर्च में करोड़ों बचा रही हैं और 20 साल में पहली बार सस्ती ऊर्जा का फायदा उठा रही हैं।

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सचिन मामपट्टा   
Last Updated- September 12, 2025 | 10:13 AM IST

भारत में लंबे समय से मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए महंगी बिजली और ईंधन बड़ी समस्या रहे हैं, लेकिन अब इसकी कीमतें धीरे-धीरे कम हो रही हैं। CMIE के आंकड़ों के अनुसार, 2024–25 में कंपनियों का बिजली और ईंधन पर खर्च कुल बिक्री का सिर्फ 1.98% था, जो पिछले 20 साल में सबसे कम है। अप्रैल-जून 2025 में यह और घटकर 1.92% हो गया।

सस्ती बिजली और तकनीकी बदलाव

इस गिरावट होने के पीछे वजह है नई तकनीक, ऊर्जा बचाने के उपाय और कंपनियों का अपने पावर प्लांट्स में निवेश। LIC म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर महेश बेंद्रे बताते हैं कि सोलर और विंड से बिजली का खर्च सिर्फ ₹3–4 प्रति यूनिट है। इसी वजह से कई कंपनियां अब सस्ती रिन्यूएबल बिजली का इस्तेमाल कर रही हैं। कुछ कंपनियां इसे बाहर से खरीदती हैं, जबकि कुछ अपने प्लांट लगा रही हैं।

कंपनियों की ऊर्जा बचत की पहल

कई बड़ी और छोटी कंपनियों ने अपनी सालाना रिपोर्ट में ऊर्जा बचाने के प्रयासों का जिक्र किया है। भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स (BHEL) ने हरिद्वार में 5 मेगावाट और हैदराबाद में 2 मेगावाट का सोलर प्लांट लगाया है, जिससे हर साल कुल 12.6 मिलियन यूनिट बिजली बनेगी। कंपनी ने कहा कि एनर्जी ऑडिट और बचत परियोजनाओं की वजह से उनकी बिजली की खपत काफी कम हुई है।

Filatex India ने 23 MW का हाइब्रिड विंड-सोलर प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिससे उनकी ज्यादातर बिजली की जरूरत पूरी होगी। इससे हर साल ₹18–20 करोड़ की बचत होने की उम्मीद है। इसके बावजूद कंपनी अपने 30 MW के पुराने पावर प्लांट को चालू रखेगी ताकि बिजली हमेशा भरोसेमंद बनी रहे।

सारे उद्योग में दिख रहा बदलाव

यह बदलाव केवल मैन्युफैक्चरिंग तक सीमित नहीं है। देश की 4,184 गैर-फाइनेंशियल कंपनियों का भी बिजली और ईंधन का खर्च पिछले दो दशकों में सबसे कम हुआ है। अप्रैल-जून तिमाही में यह 1.66% रहा।

न्यूक्लियर ऊर्जा से मदद

एनर्जी और रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI) के फेलो रामनाथन के अनुसार, न्यूक्लियर ऊर्जा भी सस्ती और भरोसेमंद बिजली देने में मदद कर सकती है। स्टील और सीमेंट जैसे ऊर्जा ज्यादा इस्तेमाल करने वाले सेक्टर छोटे न्यूक्लियर रिएक्टर (SMR) पर काम कर रहे हैं, जो कम खर्च और भरोसेमंद बिजली देंगे। नियम आसान किए जा रहे हैं और अमेरिका, चीन और ब्रिटेन इस तकनीक को बढ़ावा दे रहे हैं। रामनाथन के अनुसार, बढ़ती AI और डेटा सेंटर की मांग को देखते हुए, SMR तकनीक अगले पांच सालों में भारत में लागू हो सकती है।

First Published : September 12, 2025 | 9:55 AM IST