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Aviation Safety: हवाई जहाजों से पक्षियों के टकराने की घटनाएं बढ़ीं, एयरपोर्ट कर रहे तरह-तरह के उपाय

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के आंकड़ों के अनुसार, विमानों के पक्षियों से टकराने की घटनाएं बढ़ रही हैं।

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दीपक पटेल   
Last Updated- April 18, 2024 | 8:57 PM IST

25 मई 2023 को दुबई जाने वाली इंडिगो की एक फ्लाइट को मंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पक्षी से टकराने के बाद अपनी उड़ान रद्द करनी पड़ी थी। यह घटना 2023 में भारत में दर्ज 1,371 पक्षी टकराने की घटनाओं में से एक थी, जो पिछले छह सालों में सबसे ज्यादा है।

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के आंकड़ों के अनुसार, विमानों के पक्षियों से टकराने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसका कारण यह है कि COVID-19 के बाद, एयरलाइनों ने बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपनी उड़ानों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी की है।

हर एयरपोर्ट अपने आसपास के वातावरण के हिसाब से रणनीति बना रहा है

विमानों से पक्षियों के टकराने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जो विमानन सुरक्षा के लिए खतरा हैं। पिछले साल दर्ज की गई 1371 घटनाओं में 2022 के मुकाबले 21% की वृद्धि हुई है। इस समस्या से निपटने के लिए भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (AAI) कई कदम उठा रहा है। हर एयरपोर्ट अपने आसपास के वातावरण के हिसाब से रणनीति बना रहा है।

उदाहरण के लिए, वडोदरा हवाईअड्डे पर रनवे के पास शोर मचाने वाली बंदूकें और पटाखों का इस्तेमाल किया जाता है, साथ ही पक्षियों को डराने के लिए गाड़ियां भी दौड़ाई जाती हैं। इसी तरह लुधियाना हवाईअड्डे पर भी पटाखों का सहारा लिया जाता है।

कोलकाता और भुवनेश्वर हवाई अड्डों पर ज़ोन गन का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही, पक्षियों को डराने और भ्रमित करने के लिए बिजूका, सींग और टेप का भी उपयोग किया जाता है। पूर्वोत्तर भारत में भी इसी तरह की रणनीति अपनाई जा रही है। वहां 12 हवाई अड्डों के लिए 39 ज़ोन गन खरीदे गए हैं। हालांकि, ज़ोन गन को अंतिम उपाय के रूप में ही इस्तेमाल किया जाता है।

खतरे को कम करने के लिए केवल ज़ोन गम काफी नहीं

हवाई अड्डों पर पक्षियों के खतरे को कम करने के लिए सिर्फ ज़ोन गन ही काफी नहीं हैं। कूड़े का प्रबंधन भी उतना ही जरूरी है। हवाई अड्डे के आसपास कचरा जमा होने से पक्षी आकर्षित होते हैं, इसलिए कचरा इकट्ठा करने की जगह ही नहीं होनी चाहिए। इसकी जगह बंद डिब्बों का इस्तेमाल करके कचरे को जमा किया जाना चाहिए। इसके अलावा, लंबी घास भी पक्षियों के लिए छिपने का काम करती है।

इसलिए हवाई क्षेत्र में घास की नियमित रूप से कटाई करके उसकी ऊंचाई कम रखी जानी चाहिए। कुछ हवाई अड्डों पर तो सिर्फ पक्षियों को भगाने के लिए कर्मचारियों को तैनात करने पर भी विचार किया जा रहा है।

ये कर्मचारी शोर मचाकर या फिर किसी और तरीके से पक्षियों को दूर भगाएंगे। इंफाल हवाई अड्डे पर तो एक कदम और आगे बढ़ाया गया है। वहां नालों और लैगून को जाल से ढक दिया गया है ताकि पक्षी वहां जमा न हो सकें। साथ ही हवाई क्षेत्र के कर्मचारियों को भी पक्षियों को दूर रखने के लिए खास ट्रेनिंग दी जा रही है। ये सारे उपाय पक्षियों को खत्म करने के लिए नहीं बल्कि हवाई जहाज के उड़ान भरने और उतरने के दौरान पक्षियों के खतरे को कम करने के लिए किए जा रहे हैं।

कुल्लू मनाली हवाई अड्डे ने पक्षियों को भगाने के लिए दो लोगों को रखा

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू मनाली हवाई अड्डे ने तो पटाखों की मदद से पक्षियों को भगाने के लिए दो लोगों को भी रखा है। वहीं कांगड़ा हवाई अड्डे के आसपास दुकानों को गंदगी फैलाने से रोका जा रहा है ताकि पक्षियों को आकर्षित न किया जा सके। भावनगर हवाई अड्डा किसी जानवर के घुसने पर नजर रखता है और विमान उड़ान भरते समय पक्षियों को भगाने के लिए खास बंदूकें और कर्मचारियों का इस्तेमाल करता है।

गोंदिया हवाई अड्डा भी ज़ोन गन के साथ-साथ घास की नियमित कटाई करके पक्षियों को दूर रखने की कोशिश कर रहा है। ये सारे उपाय बताते हैं कि भारत में हवाई यात्रा बढ़ने के साथ ही पक्षियों से टकराव का खतरा भी बढ़ रहा है, इसलिए हवाई अड्डे प्राधिकरण कई तरह के तरीके अपनाकर इस खतरे को कम करने का प्रयास कर रहे हैं।

First Published : April 18, 2024 | 8:57 PM IST