इलस्ट्रेशन- बिनय सिन्हा
भारतीय कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में घरेलू ऋण पूंजी बाजार में बॉन्ड के माध्यम से 5.47 लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाए। इस क्रम में वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में कम यील्ड के बीच मजबूत ढंग से 3.44 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए। हालांकि वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में यील्ड बढ़ने से धन जुटाना सुस्त होकर 2.03 लाख करोड़ रुपये हो गया।
भारतीय रिजर्व बैंक के नरम रुख अपनाने, पहली व दूसरी तिमाही में बैंकों के बॉन्ड मार्केट से प्रमुख तौर पर अनुपस्थित रहने और निवेशकों की अल्प व मध्यम अवधि की परिपक्वता में रुचि बढ़ने के कारण वित्त वर्ष 26 की तीसरी तिमाही में प्राथमिक पूंजी बाजार में फिर से गतिविधियां बढ़ने की उम्मीद है। लिहाजा बॉन्ड मार्केट के विशेषज्ञों को वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही मजबूत होने की संभावना है।
प्राइम डेटा बेस के अनुसार वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही की तुलना में वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में भारत की कंपनियों ने बॉन्ड से 4.33 प्रतिशत अधिक धन जुटाया था। वित्त वर्ष 25 में कंपनियों ने बॉन्ड से करीब 11 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे जबकि उन्होंने वित्त वर्ष 24 में 10.22 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे। भारत की कंपनियों ने ऋण बाजार से धन जुटाया था। रिजर्व बैंक केी दर में कटौती होने से यील्ड सुस्त हुई थी।
लिहाजा वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में भारत की कंपनियों ने ऋण बाजार से धन जुटाने को प्राथमिकता दी थी। भारत की कंपनियों ने धन जुटाने के लिए बैंकों से अधिक ऋण बाजार को वरीयता दी थी। धन जुटाना अप्रैल, मई और जून में मजबूत रहा। इन अवधि के दौरान हरेक महीने में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाए गए थे। अमेरिका के भारत पर शुल्क थोपे जाने के कारण वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में बॉन्ड यील्ड मजबूत हुई थीं।