प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत 2030 तक के लिए तय किए गए ऊर्जा लक्ष्य हासिल करने की राह पर है और इस साल अक्टूबर तक 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण करने लगेगा। 2030 के लिए तय किए गए ऊर्जा लक्ष्यों में 500 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता जोड़ना, भारतीय रेल को नेट जीरो उत्सर्जन करने वाला बनाना और 50 लाख टन सालाना हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता स्थापित करना शामिल है।
इंडिया एनर्जी वीक 2026 के उद्घाटन सत्र में पहले से रिकॉर्ड किए गए अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का लक्ष्य समय से पहले हासिल कर लेगा और यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। पहले 20 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य 2030 तक पूरा करने की बात थी, जिसे बाद में बदल दिया गया और 2025 के आखिर तक लक्ष्य हासिल करने की बात कही गई।
20 प्रतिशत एथनॉल मिले पेट्रोल को ई-20 पेट्रोल कहा जाता है और देश में अभी 15,600 से अधिक पंपों पर यह मिल रहा है। सरकार ने पिछले साल मार्च में ई-100 पेट्रोल भी पेश कर दिया, जिसमें 93-93.5 प्रतिशत एथनॉल होता है, 5 प्रतिशत पेट्रोल होता है और बाइंडर के तौर पर 1.5 प्रतिशत को-सॉल्वेंट मिलाया जाता है।
मोदी ने कहा कि भारत के पास ऊर्जा तैयार करने वाली 50 करोड़ टन घास, वनस्पति आदि है। नवीकरणीय ऊर्जा की बात करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता पिछले 10 साल में 32 गुना बढ़ गई है और इस समय भारत सौर ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। नवीकरणीय ऊर्जा को छोड़ दें तो पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन भी 3 गुना बढ़ गया है।
प्रधानमंत्री ने भारत में सौर फोटोवोल्टाइक सेल बनाने के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि नए बजट ने भारत में बैटरी और भंडारण नीतियों पर तेजी से काम होना सुनिश्चित किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के पास ऊर्जा का बड़ा उत्पादन बनने के लिए जरूरी संसाधन, नवाचार, राजनीतिक स्थिरता, रणनीतिक भौगोलिक क्षेत्र मौजूद है।
प्रधानमंत्री ने उत्खनन और उत्पादन में निवेश करने वालों को संकेत देते हुए कहा कि भारत के तलछटी बेसिन में ढेर सारे हाइड्रोकार्बन मौजूद हैं, जिनका पता ही नहीं लगाया गया है। इनके अन्वेषण और उत्पादन में निवेशकों के लिए अपार संभावनाएं हैं।
इस समय भारत के 33.6 लाख वर्ग किमी तलछटी बेसिन के करीब 10 प्रतिशत इलाके में ही अन्वेषण किया जा रहा है और सरकार ने इसे बढ़ाकर 16 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। मगर 2030 तक अन्वेषण क्षेत्र को 10 लाख वर्ग किमी तक बढ़ाने के सरकार के लक्ष्य से यह काफी कम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पेट्रोलियम रिफाइनिंग का चौथा सबसे बड़ा केंद्र है, जिसकी क्षमता में अभी और इजाफा होगा। सराकर मानती है कि 2028 तक रिफाइनिंग क्षमता का उपयोग 25.6 करोड़ टन से बढ़कर 30.9 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा।