Hyundai मोटर इंडिया लिमिटेड (एचएमआईएल) ने बुधवार को तरुण गर्ग को 1 जनवरी, 2026 से अपना अगला प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करने की घोषणा की। 1996 में कंपनी की स्थापना के बाद से गर्ग इस नेतृत्व की भूमिका निभाने वाले पहले भारतीय होंगे। वह अभी एचएमआईएल के पूर्णकालिक निदेशक और मुख्य परिचालन अधिकारी हैं। सोहिनी दास के साथ बातचीत के मुख्य अंश…
आपकी अब तक की यात्रा कैसी रही है?
मेरे पिता एक गणितज्ञ और एक प्रसिद्ध लेखक थे। घर में अनुशासन बहुत अच्छा था और मैं एक अच्छा छात्र था। मेरी इंजीनियरिंग भी अच्छी रही और उसके बाद मैंने एमबीए भी किया। फिर मैं 26 साल तक मारुति सुजूकी इंडिया में रहा और हर 3-4 साल में मुझे एक नया काम मिलता रहा। मैंने लॉजिस्टिक्स से शुरुआत की और जब आप निचले स्तर से शुरुआत करते हैं तो आपके अंदर कोई अहंकार नहीं होता, इसलिए इससे मुझे आम लोगों का आदमी बनने में मदद मिली।
मैं इस क्षेत्र में रहा हूं, बिक्री में, विपणन में, स्पेयर पार्ट्स में, लॉजिस्टिक्स में, मुझे हर भूमिका का अनुभव मिला। इसका फायदा यह हुआ कि जब मैं Hyundai में बिक्री और विपणन निदेशक के रूप में शामिल हुआ और दो महीने के भीतर ही कोविड-19 महामारी फैल गई तो मेरे सामने चुनौतियों खड़ी हो गई, जिसका मैंने सामना किया। उस साल (2020) Hyundai की अपने इतिहास में अब तक की सबसे अधिक बाजार हिस्सेदारी थी और एसयूवी का पूरा खेल बदल गया।
आप वॉल्यूम पर ध्यान केंद्रित करेंगे या लाभ पर?
वॉल्यूम और मुनाफे में संतुलन बनाना जरूरी है और इस दृष्टिकोण ने वास्तव में हमारी मदद की है। और निश्चित रूप से आईपीओ सबसे बड़ी बात थी और मैं बहुत आभारी हूं कि मुझे इसमें प्रमुख भूमिका निभाने का अवसर मिला। एक सूचीबद्ध कंपनी होने के नाते हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम वॉल्यूम और लाभप्रदता के बीच संतुलन बनाए रखें और इसी तरह घरेलू और निर्यात के बीच भी संतुलन रखें।
आप ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में कार्यभार संभाल रहे हैं जब प्रतिस्पर्धा के कारण आपकी बाजार हिस्सेदारी खतरे में है। नए उत्पाद आने से पहले आपकी अल्पकालिक से मध्यम अवधि की रणनीति क्या होगी?
पहला भारतीय एमडी और सीईओ बनना बहुत गर्व की बात है, साथ ही एक बड़ी जिम्मेदारी भी। मुझे लगता है कि यह भारत में Hyundai की वृद्धि के अगले चरण की शुरुआत है। इसकी खूबसूरती यह है कि जितना ज्यादा आपको प्रेरित किया जाता है और चुनौती दी जाती है, उतना ही बेहतर परिणाम सामने आते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे पास जिस तरह की टीम है और हमारे पास जो बुनियादी सिद्धांत हैं, उनके साथ हम अच्छा प्रदर्शन करेंगे। हमने आज नई वेन्यू की घोषणा की है और इस सेगमेंट (सब-कॉम्पैक्ट एसयूवी) को नई जीएसटी व्यवस्था से सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है।
पुणे प्लांट बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है। इस क्षमता के साथ आप ज्यादा से ज्यादा मॉडल आते देखेंगे। निर्यात बहुत अच्छा चल रहा है, जिसका मतलब है कि हम अच्छी आय अर्जित कर पा रहे हैं और निर्यात प्रतिशत पहले ही लगभग 26-27 तक बढ़ चुका है। Hyundai के लिए यह कभी भी 6 या 12 महीनों की छोटी अवधि की बात नहीं है। हमारे लिए यह मध्यम से लंबी अवधि की बात है।
2030 तक निर्यात वृद्धि के साथ-साथ 15 फीसदी घरेलू बाजार हिस्सेदारी का लक्ष्य रखते हुए आपको कितनी जल्दी एक नए संयंत्र की आवश्यकता होगी?
हम आकलन करते रहते हैं और साथ ही हम बाधाओं को दूर करने में भी बहुत अच्छे हैं। जब चेन्नई प्लांट शुरू हुआ था तब इसकी क्षमता 680,000 यूनिट सालाना थी और अब यह 824,000 यूनिट है।
ऑटोमोटिव उद्योग के सामने मौजूद वैश्विक आपूर्ति-श्रृंखला चुनौतियों से निपटने के लिए आपकी क्या योजना है?
Hyundai मोटर कॉरपोरेश की आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा होने का एक बड़ा फायदा है और अगर आप कोविड-19 के समय को देखें तो हमें एक बड़ा फायदा यह मिला कि हम एचएमसी आपूर्ति-श्रृंखला का हिस्सा थे। हम अपने विक्रेताओं के साथ बहुत बारीकी से बातचीत कर रहे हैं। और अभी तक किसी भी उत्पादन में कोई व्यवधान या किसी भी चीज का स्थगन नहीं हुआ है।