भारत में लिस्टेड सहायक इकाई वेदांत लिमिटेड से डिविडेंड के साथ-साथ ज्यादा ब्रांड फीस मिलने से लंदन की प्रमोटर कंपनी वेदांत समूह को अपना कर्ज कम करने में काफी मदद मिली है। नोमुरा की रिपोर्ट के मुताबिक वेदांत ने वित्त वर्ष 2023 में बतौर ब्रांड फीस 2,632 करोड़ रुपये (32.5 करोड़ डॉलर) चुकाए हैं।
अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली होल्डिंग कंपनी वेदांत रिसोर्सेस ने 2021 में ब्रांड फीस बढ़ाकर सालाना आय का 2 फीसदी कर दिया था, जिससे वेदांत को अपनी प्रमोटर इकाई को ज्यादा ब्रांड फीस देना पड़ा है। मार्च 2022 में समाप्त वित्त वर्ष में वेदांत और उसकी सहायक इकाइयों ने 1,553 करोड़ रुपये ब्रांड फीस के तौर पर चुकाए थे, जबकि 2021 में 939 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था।
‘वेदांत’ ब्रांड का उपयोग करने के लिए वेदांत ने 2017 में वेदांत रिसोर्सेस के साथ तीन साल का ब्रांड लाइसेंस करार किया था। इसके तहत वेदांत को अपने सालाना कारोबार का 0.75 फीसदी हिस्सा ब्रांड फीस के तौर पर वेदांत रिसोर्सेस को देना था। इसके बाद वेदांत की कुछ अन्य सहायक इकाइयों ने भी वेदांत रिसोर्सेस के साथ इसी तरह का करार किया और अपने सालाना कारोबार का 0.75 फीसदी से 1.5 फीसदी ब्रांड फीस के तौर पर देने के लिए राजी हो गईं।
तीन साल खत्म होने के बाद मार्च 2021 में जब दोबारा समझौता किया गया तो वेदांत रिसोर्सेस ने कुछ और सेवाएं देने पर भी रजामंदी जताई। इस समझौते के बाद वेदांत के लिए ब्रांड और रणनीतिक फीस बढ़ाकर सालाना कारोबार का 2 फीसदी कर दिया गया, लेकिन अन्य सहायक इकाइयों के लिए यह फीस नहीं बढ़ाया गया। वित्त वर्ष 2022 में इस समझौते को 15 साल के लिए बढ़ा दिया गया था। वेदांत ने पिछले साल अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा था कि सालाना कारोबार का अनुमान लगाकर साल की शुरुआत में ही यह फीस चुका दिया जाता है।
इस बारे में जानकारी के लिए वेदांत को ईमेल भेजा गया,लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
वेदांत रिसोर्सेस अकेली कंपनी नहीं है, जिसने अपनी भारतीय इकाइयों के लिए ब्रांड फीस और रॉयल्टी बढ़ाई है। इस साल फरवरी से यूनिलीवर ने भी अपनी भारतीय इकाई हिंदुस्तान यूनिलीवर से मिलने वाली रॉयल्टी और केंद्रीय सेवा फीस बढ़ाकर सालाना कारोबार का 3.45 फीसदी कर दिया है। पहले यह 2.65 फीसदी था। यह बढ़ोतरी अगले तीन साल में धीरे-धीरे लागू होगी।
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टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस भी अपनी सहायक इकाइयों से ‘टाटा’ ब्रांड नाम का इस्तेमाल करने के लिए फीस वसूलती है। कंपनी की सालाना शुद्ध आय के 0.25 फीसदी या कर पूर्व मुनाफे (PAT) के 5 फीसदी में से जो भी रकम कम होती है, वह फीस के तौर पर ले ली जाती है। मगर जिस साल टाटा समूह की कंपनी को घाटा होता है, उस साल उसे यह फीस नहीं देना होता है।
विश्लेषकों ने कहा कि भारतीय इकाइयों से रिकॉर्ड लाभांश मिलने और ब्रांड फीस बढ़ाने से वेदांत रिसोर्सेस को अपना कर्ज चुकाने में मदद मिली है। इस साल 31 मार्च को वेदांत रिसोर्सेस पर 7,8 अरब डॉलर का कर्ज था, जिसे उसने घटाकर अब 6.4 अरब डॉलर कर लिया है। कंपनी का लक्ष्य वित्त वर्ष 2024 खत्म होने तक कर्ज और कम करना तथा अंत में कर्ज से पूरी तरह मुक्त हो जाना है।
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विश्लेषकों ने कहा कि वित्त वर्ष 2023 के अंत तक वेदांत रिसोर्सेस को वेदांत से डिविडेंड के तौर पर 25,636 करोड़ रुपये मिले हैं, जिनका इस्तेमाल प्रवर्तक कंपनी ने अपने कर्ज का आंशिक भुगतान करने में किया है। वेदांत लिमिटेड में वेदांत रिसोर्सेस की 68.1 फीसदी हिस्सेदारी है और इसके जरिये हिंदुस्तान जिंक में भी उसकी 63 फीसदी हिस्सेदारी है।
वेदांत रिसोर्सेस ने ग्लेनकोर (Glencore) और ट्राफिगरा (Trafigura) से नया कर्ज लिया है तथा जेपी मॉर्गन चेस (JP Morgan Chase) तथा ओकट्री (Oaktree) से नया कर्ज लेकर अपने पुराने कर्ज चुकाए हैं।