एजीआर मामले में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 3:03 AM IST

तकरीबन एक साल के दौरान कई चरणों में सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) मामले पर आज अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत के फैसले से वोडाफोन आइडिया के कारोबार की किस्मत तय होगी। अगर अदालत भुगतान अवधि में रियायत की अनुमति देती है तो दूरसंचार कंपनियों को राहत मिल सकती है।
उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों की खिंचाई करते हुए कहा कि बकाया भुगतान नहीं करने वाली फर्मों के लाइसेंस और स्पेक्ट्रम केंद्र सरकार को रद्द कर देने चाहिए। अदालत रिलायंस कम्युनिकेशंस, वीडियोकॉन और एयरसेल के पिछले बकाये मामले में अतिरिक्त देनदारी पर भी फैसला दे सकती है।
रिलायंस जियो ने आरकॉम के साथ और एयरटेल ने वीडियोकॉन तथा एयरसेल के साथ स्पेक्ट्रम साझेदारी का करार किया है। अदालत ने कहा कि अगर दूरसंचार कंपनियां अपना बकाया देने में आनाकानी करती हैं तो वह केंद्र सरकार को उनके लाइसेंस और स्पेक्ट्रम रद्द करने का निर्देश दे सकती है। दूरसंचार विभाग ने कहा कि अगर अदालत स्पेक्ट्रम साझा करने और बिक्री पर फैसला देती है तो वह वीडियोकॉन के एवज में एयरटेल पर बकाया भुगतान की मांग का आकलन कर सकती है।   
दूरसंचार विभाग ने कहा कि अदालत के निर्णय के दूरसंचार कंपनियों के एजीआर बकाये को बढ़ाया गया था और दिवालिया फर्मों के मामले में भी ऐसा हो सकता है। अदालत ने कहा कि स्पेक्ट्रम बिक्री के दिशानिर्देशों के अनुसार विक्रेता को स्पेक्ट्रम बेचने से पहले सभी बकाया देनदारी चुकानी होगी। ऐसा नहीं होने पर बकाया की देनदारी खरीदार पर होगी।
भारती एयरटेल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर वीडियोकॉन के पिछले बकाये को एयरटेल पर डाला जाता है तो दूरसंचार विभाग को इसे काफी पहले स्पष्ट करना चाहिए था।दूरसंचार विभाग ने अदालत में कहा कि अभी तक रिलायंस जियो और भारती एयरटेल से आरकॉम तथा वीडियोकॉन के बकाये की मांग नहीं की गई है। जियो पर आरकॉम का और एयरटेल पर वीडियोकॉन के बकाये की देनदारी का अभी आकलन किया जा रहा है।14 अगस्त को अदालत ने आरकॉम और जियो के बीच स्पेक्ट्रम साझेदारी का ब्योरा मांगा था और कहा था कि दूसरे फर्म का स्पेक्ट्र्रम इस्तेमाल करने वाली कंपनी से सरकार की ओर से एजीआर बकाया चुकाने को क्यों नहीं कहा जा सकता है। केंद्र सरकार ने पहले अदालत में कहा था कि दिवालिया प्रक्रिया के दौरान स्पेक्ट्रम की बिक्री के मसले पर दूरसंचार विभाग और कंपनी मामलों के मंत्रालय की राय अलग-अलग थी। इससे पहले अदालत ने स्पष्ट किया था कि वह एजीआर से संबंधित बकाया मामले में फिर से गणना करने के तर्क को वह एक सेकंड के लिए भी नहीं सुनेगा। दूरसंचार कंपनियों पर एजीआर मद में 1.6 लाख करोड़ रुपये का बकाया है। शीर्ष अदालत द्वारा वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेली की याचिका खारिज किए जाने के बाद दूरसंचार विभाग ने मार्च में अदालत में याचिका दायर कर बकाया भुगतान 20 साल के दौरान में किस्तों में करने की अनुमति मांगी थी।

First Published : August 24, 2020 | 10:44 PM IST