मूल कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉरपोरेशन (एचडीएफसी) के साथ विलय के बाद भी एचडीएफसी बैंक के लिए एमएससीआई और एफटीएसई जैसे वैश्विक सूचकांकों में शामिल होने का सपना बरकरार रहेगा।
विश्लेषकों के मुताबिक, विलय के बाद बनी इकाई में विदेशी निवेश की गुंजाइश करीब 10 फीसदी होगी, जो एमएससीआई व एफटीएसई की तरफ से जरूरी सीमा क्रमश: 15 फीसदी व 20 फीसदी से कम है। इसके परिणामस्वरूप देश की तीसरी सबसे मूल्यवान कंपनी विस्तृत रूप से ट्रैक किए जाने वाले एमएससीआई व एफटीएसई वैश्विक सूचकांकों से बाहर रहेगी, जो अरबों डॉलर के विदेशी निवेश हासिल करने में मदद करता है।
अभी एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण 9 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है, लेकिन विदेशी निवेश के लिए सीमित गुंजाइश के कारण यह अभी इन वैश्विक सूचकांकों का हिस्सा नहीं है। एचडीएफसी बैंक में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के निवेश की सीमा 74 फीसदी है। इसमें से करीब 70 फीसदी का इस्तेमाल हो चुका है और यह जानकारी दिसंबर 2021 के शेयरधारिता आंकड़ों से मिली।
एचडीएफसी बैंक में एफपीआई की सीमा का करीब 26 फीसदी का इस्तेमाल अभी मूल कंपनी एचडीएफसी ने किया है, जिसे विदेशी इकाई के तौर पर वर्गीकृत किया गया है क्योंकि उसकी 50 फीसदी से ज्यादा शेयरधारिता विदेशी इकाइयों के पास है। इसके अलावा एचडीएफसी बैंक में एफपीआई की 19 फीसदी सीमा उसके अमेरिकी डिपॉजिटरी रिसीट्स (एडीआर) ने ले ली है, जिसकी ट्रेडिंग न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में होती है।
शुरू में बाजार उम्मीद कर रहा था कि विलय के बाद बनने वाली इकाई वैश्विक सूचकांकों में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त करेगी। विलय की घोषणा के बाद एचडीएफसी बैंक 14.3 फीसदी और एचडीएफसी 16.5 फीसदी उछल गई। हालांकि इसने कुछ बढ़त गंवा दी क्योंंकि अंदाजा लगा कि इंडेक्स में शामिल होने की संभावना व पैसिव निवेश को लेकर इस घटनाक्रम से मदद नहीं मिलेगी।
पिछले हफ्ते स्मार्टकर्मा के विश्लेषक ब्रायन फ्रिएटस ने एक नोट में कहा था, संयुक्त इकाई के पास 95 फीसदी सार्वजनिक शेयर होंगे और विदेशी शेयरधारिता 66.24 फीसदी। इसका मतलब यह हुआ कि नई इकाई में विदेशी निवेश की गुंजाइश 10.5 फीसदी होगी। नई इकाई में विदेशी स्वामित्व की सीमा 74 फीसदी बनी रहने की संभावना है।
दिलचस्प रूप से जोखिम यह है कि एमएससीआई व एफटीएसई को ट्रैक करने वाले फंड एचडीएफसी के शेयरों की बिकवाली कर सकते हैं, जो इन सूचकांकों का हिस्सा है।
फ्रिएट्स ने कहा, सबसे खराब स्थिति यह होगी (जिसकी संभावना नहीं के बराबर है) कि अगर एमएससीआई यह फैसला लेता है कि इंडेक्स में शामिल किए जाने के लिए एचडीएफसी बैंक पात्र नहीं है क्योंंकि वहां विदेशी निवेश की गुंजाइश 15 फीसदी से कम है तो ऐसी स्थिति में पैसिव फंडों को ट्रैक करने वालोंं को एचडीएफसी के शेयर विलय के क्रियान्वयन से पहले 12.9 करोड़ शेयर (4.16 अरब डॉलर) बेचने होंगे।
उन्होंने कहा कि यह संभव है कि एमएससीआई विलय के बाद बनी इकाई को इंडेक्स में बनाए रख सकता है और वह भी कम विदेशी निवेश की सीमा की गुंजाइश के साथ। ऐसे में एमएससीआई को ट्रैक करने वालों को एचडीएफसी बैंक के 1.075 करोड़ शेयर (34.7 करोड़ डॉलर) बेचने होंगे।
उन्होंंने कहा, जहां तक एफटीएसई सूचकांकों का संबंध है, एक संभावना पर चर्चा हुई है कि एचडीएफसी बैंक में तब्दील होने वाले एचडीएफसी के शेयरों को विलय के समय इंडेक्स में शामिल किया जाएगा और निवेश के भारांक में उसके बाद होने वाला बदलाव उस समय उपलब्ध विदेशी निवेश की गुंजाइश पर निर्भर करेगा।
विलय से पहले एचडीएफसी के शेयरों के साथ एमएससीआई व एफटीएसई किस तरह का वास्तविक व्यवहार करता है, यह उसी समय पता चल पाएगा, जिसमें अभी कई महीने लग सकते हैं।