इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 के मसौदे पर राय या टिप्पणी जमा करने की समय सीमा दो जनवरी तक बढ़ा दी है। कई हितधारकों द्वारा टिप्पणी जमा करने के लिए और समय का अनुरोध करने के बाद इस समय सीमा को बढ़ाया गया है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 के मसौदे पर राय या टिप्पणी जमा करने की समय सीमा दो जनवरी तक बढ़ा दी गई है। कई हितधारकों द्वारा टिप्पणी जमा करने के लिए और समय का अनुरोध करने के बाद इस समय सीमा को बढ़ाया गया है।
मंत्रालय ने टिप्पणी जमा करने के लिए 17 दिसंबर की समय सीमा निर्धारित की थी। कई हितधारकों ने टिप्पणियां जमा करने की प्रक्रिया को लेकर कुछ परेशानियों बताई है। इस संबंध में टिप्पणियां मंत्रालय की आधिकारिक ईमेल आईडी के बजाय केवल MyGov पोर्टल पर ही जमा की जा सकती हैं।
मंत्रालय ने 18 नवंबर को भारत में डेटा प्राइवेसी कानून का चौथा संस्करण जारी किया। यह कानून देश में पर्सनल डिजिटल डेटा जुटाने और संसाधित करने के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करेगा।
इस कानून का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है। चार साल के विचार-विमर्श के बाद सरकार ने इस साल तीन अगस्त को ‘पर्सनल डेटा संरक्षण (PDP) विधेयक, 2019 को वापस ले लिया और इसे ‘व्यापक रूपरेखा’ और ‘समकालीन डिजिटल गोपनीयता कानून’ प्रदान करने वाले एक नए संस्करण के साथ बदल दिया।
कई सार्वजनिक वकालत समूहों और उद्योग हितधारकों ने सरल और प्रगतिशील भाषा के लिए नए मसौदे का स्वागत किया है। हालांकि, डेटा के मुक्त आदान-प्रदान के लिए योग्य भौगोलिक क्षेत्रों की सूची और डेटा सुरक्षा बोर्ड की नियुक्ति के साथ-साथ जुर्माना लगाए जाने को लेकर चिंताएं भी व्यक्त की गई है।
मसौदे में डेटा गोपनीयता नियमों का पालन नहीं करने पर भारी वित्तीय दंड का भी प्रावधान है। पर्सनल डेटा उल्लंघनों को रोकने के सुरक्षा उपाय में विफल रहने पर 250 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
वहीं, डेटा सुरक्षा बोर्ड को बताने में विफल रहने और व्यक्तिगत डेटा के उल्लंघन की स्थिति में ‘डेटा प्रिंसिपल’ को प्रभावित करने पर 200 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।