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Google Vs CCI: गूगल विवाद में नया मोड़, CCI पर Amazon के हितों का बचाव करने का आरोप

कंपनी ने शीर्ष अदालत में दायर अपनी ताजा अपील याचिका में कहा कि सीसीआई एमेजॉन (Amazon) के हितों का बचाव कर रहा है।

Published by
शिवानी शिंदे   
सौरभ लेले   
Last Updated- July 06, 2023 | 11:42 PM IST

ऐंड्रॉयड बाजार में अपने वर्चस्व का दुरुपयोग करने के आरोपों से जूझ रही गूगल ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) पर यूरोपीय आयोग के फैसले की नकल करने की तोहमत लगाकर विवाद को अब नया रंग दे दिया है। कंपनी ने शीर्ष अदालत में दायर अपनी ताजा अपील याचिका में कहा कि सीसीआई एमेजॉन (Amazon) के हितों का बचाव कर रहा है।

गूगल ने एनसीएलएटी के 29 मार्च के आदेश के खिलाफ 26 जून को सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की। इसके साथ ही उसने सीसीआई के साथ अपने गतिरोध को एक नया मोड़ दिया है। प्रौद्योगिकी कंपनी का कहना है कि एनसीएलएटी ने सीसीआई के आदेश के ‘प्रभाव विश्लेषण’ पर उचित तरीके से गौर नहीं किया।

गूगल ने अपनी अपील याचिका में कहा है, ‘ट्रिब्यूनल ने बिल्कुल सही कहा कि प्रतिस्पर्धा कानून की धारा 4 (वर्चस्व का दुरुपयोग) का उल्लंघन साबित करने के लिए प्रभाव विश्लेषण की आवश्यकता होती है। मगर उसने आयोग के आदेश पर उसे उचित तरीके से लागू नहीं किया। यदि ट्रिब्यूनल ने प्रभाव परीक्षण को लागू किया होता तो उसे पता चलता कि गूगल के समझौते से कोई प्रतिस्पर्धा विरोधी प्रभाव पैदा नहीं हुआ।’

आयोग ने गूगल पर लगाया था 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने 20 अक्टूबर, 2022 को पाया था कि गूगल ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए बाजार में अपने वर्चस्व का दुरुपयोग किया है। आयोग ने उस पर 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

बाजार नियामक ने भी गूगल को विभिन्न अनुचित कारोबारी प्रथाओं को बंद करने का निर्देश दिया था। सीसीआई ने कंपनी को अपने एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम के संशोधित संस्करण को जारी करने का भी आदेश दिया जिसे एंड्रॉइड फोर्क्स कहा जाता है।

गूगल ने अपील में शिकायत की है कि ट्रिब्यूनल ने प्रासंगिक सबूतों को नजरअंदाज कर दिया और अप्रासंगिक एवं अविश्वसनीय सबूतों पर भरोसा किया। सामने आने वाली एकमात्र प्रतिस्पर्धी कंपनी एमेजॉन थी।

गूगल पर अपने वर्चस्व का गलत इस्तेमाल करने का आरोप

सीसीआई ने जांच के दौरान उद्योग प्रतिभागियों से संपर्क करते हुए पूछा था कि क्या गूगल ने अपने वर्चस्व का इस्तेमाल किया है। जिन कंपनियों से संपर्क किया गया उनमें से एमेजॉन भी शामिल है। एमेजॉन ने सीसीआई को बताया कि गूगल के वर्चस्व ने उसके फायरओएस के विकास को बाधित किया जो एक एंड्रॉयड फोर्क था।

अपील में कहा गया है, ‘कमजोर यूजर अनुभव के कारण फायरओएस वैश्विक स्तर पर वाणिज्यिक रूप से विफल रहा। भारत में फायर फोन को अब तक उतारा भी नहीं गया है। मगर, आयोग ने भारत में प्रतिस्पर्धा के मोर्चे पर एमेजॉन द्वारा कोशिश न करने को विफलता बताते हुए उसके लिए गूगल के समझौतों को जिम्मेदार ठहराया।’

इस मुद्दे पर गूगल की टिप्पणी के लिए भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिला। एमेजॉन ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार किया। कानून विशेषज्ञों ने कहा कि सीसीआई केवल तीसरे पक्ष की दलीलों पर निर्भर नहीं है। यह सीसीआई के समक्ष मौजूद तमाम सबूतों में से एक हो सकता है।

लूथरा ऐंड लूथरा लॉ ऑफिसेज इंडिया के पार्टनर जीआर भाटिया ने कहा, ‘वास्तव में, ‘वर्चस्व के दुरुपयोग’ के मामलों में दुनिया भर में प्रतिस्पर्धा अधिकारी आमतौर पर प्रमुख इकाई के प्रतिस्पर्धियों की प्रतिक्रिया आमंत्रित करते हैं ताकि मामले का समग्र दृष्टिकोण प्राप्त हो सके।’ गूगल ने यह भी आरोप लगाया है कि ट्रिब्यूनल ने पूरे परिवेश और एंड्रॉयड के कारण रोजगार सृजन पर गौर नहीं किया।

First Published : July 6, 2023 | 11:42 PM IST