विमानन कंपनी गो फर्स्ट के लेनदारों ने इस कंपनी के अधिग्रहण के लिए वित्तीय बोली की समय सीमा 31 जनवरी तय की है। रविवार को दो बैंकिंग सूत्रों ने यह जानकारी दी। गो फर्स्ट ने मई में दिवालिया संरक्षण के लिए आवेदन किया था लेकिन लेनदार नया निवेशक पाने में नाकाम रहे। इसके बाद हाल में इस कंपनी के परिसमापन पर विचार किया गया।
गो फर्स्ट को कर्ज दे चुके एक बैंकर ने कहा कि बैंकों ने एक बार फिर से समाधान प्रक्रिया शुरू करने का फैसला लिया है और उन आवेदकों को अनुमति दी जाएगी जिन्होंने पहले ठोस बोली जमा कराने में दिलचस्पी दिखाई थी। भारतीय विमानन कंपनी स्पाइसजेट ने पिछले महीने कहा था कि ड्यू डिलिजेंस के बाद वह गो फर्स्ट के लिए पेशकश पर विचार कर रही है।
शारजाह, यूएई की कंपनी स्काई वन, अफ्रीका केंद्रित सैफरिक इन्वेस्टमेंट्स और अमेरिका की एनएस एविएशन ने भी गो फर्स्ट में रुचि प्रदर्शित की है। दो सूत्रों ने यह जानकारी दी। स्काई वन, सैफरिक इन्वेस्टमेंट्स और एनएस एविएशन से इस संबंध में तुरंत टिप्पणी नहीं मिल पाई। एक अन्य बैंकर ने कहा कि लेनदारों की समिति संभावित बोलीदाताओं के अनुरोध पर माह के आखिर की समयसीमा बढ़ाने पर विचार कर सकती है।
गो फर्स्ट के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने इस संबंध में पूछे जाने पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की। गो फर्स्ट की दिवालिया फाइलिंग में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा और आईडीबीआई बैंक के अलावा डॉयचे बैंक उसके लेनदारों में शामिल है, जिनके विमानन कंपनी पर कुल 6,521 करोड़ रुपये बकाया हैं।