वित्तीय संकट से जूझ रही विमानन कंपनी गो फर्स्ट (Go First) ने आज दिवालिया प्रक्रिया के लिए अर्जी डाल दी है। वाडिया समूह (Wadia Group) की इस कंपनी के 57 विमान इंजन की आपूर्ति में दिक्कत की वजह से बेकार खड़े हैं, जिसकी वजह से उसे नकदी की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
गो फर्स्ट ने इस बड़े कदम के लिए और गुरुवार तक सभी उड़ानें रद्द करने के लिए इंजन विनिर्माता प्रैट ऐंड व्हिटनी को सीधा जिम्मेदार ठहराया है। पिछले कुछ दिनों से गो फर्स्ट रोजाना करीब 200 उड़ानें चला रही थी, जिनमें 25 से 30 हजार यात्री उड़ान भर रहे थे।
नगार विमानन महानिदेशालय ने 3 और 4 मई को उड़ान रद्द करने की जानकारी पहले नहीं देने के कारण गो फर्स्ट को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। विमानन कंपनी की वेबसाइट पर 5 मई की उड़ानें भी रद्द दिखाई जा रही हैं।
यात्रा उद्योग के सूत्रों के अनुसार घबराहट में यात्री अब आगे की तारीखों के भी हवाई टिकट रद्द करा रहे हैं। एक ऑनलाइन यात्रा एजेंसी के अधिकारी ने बताया कि टिकट का पैसा वापस भी नहीं किया जा रहा है। इधर ईंधन आपूर्तिकर्ता इंडियन ऑयल ने भी फैसला किया है कि सेवा शुरू होने पर गो फर्स्ट को नकद में ही तेल दिया जाएगा।
गो फर्स्ट ने कहा, ‘प्रैट ऐंड व्हिटनी के खराब इंजन की वजह से दिसंबर 2019 में 7 फीसदी विमान खड़े थे, जिनकी संख्या दिसंबर 2020 में बढ़कर 31 फीसदी और दिसंबर 2022 में 50 फीसदी हो गई।’ इसकी वजह से विमानन कंपनी को पिछले एक साल से करीब आधी क्षमता के ही साथ विमान उड़ाने पड़ रहे थे।
पिछले तीन साल में 3,200 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश पाने वाली गो फर्स्ट ने कहा कि इंजन कंपनी ने आपातकालीन मध्यस्थ का फैसला नहीं माना। इसी वजह से उसे दिवालिया आवेदन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
विमानन कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘आदेश में प्रैट ऐंड व्हिटनी को निर्देश दिया गया था कि वह गो फर्स्ट को 27 अप्रैल तक कम से कम 10 अतिरिक्त इंजन पट्टे पर दे और दिसंबर तक हर महीने 10 अतिरिक्त इंजन पट्टे पर दिलाए जाएं। इसका मकसद गो फर्स्ट का परिचालन पूरी तरह सुचारु करना है ताकि उसकी वित्तीय स्थिति सुधर सके।’
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विमानन कंपनी ने कहा, ‘आपातकालीन मध्यस्थता आदेश के बावजूद प्रैट ऐंड व्हिटनी अलग से इंजन पट्टे पर नहीं दिला पाई। उसने कहा कि आपातकालीन मध्यस्थता फैसले पर अमल करने के लिए उसके पास कोई भी अतिरिक्त इंजन नहीं है।’ गोफर्स्ट ने अपने नुकसान की भरपाई के लिए 8,000 करोड़ रुपये के मुआवजे का दावा किया है।
गो फर्स्ट ने कहा है कि विमानों का परिचालन ठप होने से उसकी कमाई घट गई और अतिरिक्त खर्च हुआ, जो कुल मिलाकर करीब 10,800 करोड़ रुपये बैठता है। उसने कहा कि ठप विमानों के पट्टे के लिए उसे 1,600 करोड़ रुपये किराये पर खर्च करने पड़े।
दिवालिया अदालत में जाने के गो फर्स्ट के फैसले से ऋणदाता और आपूर्तिकर्ता हैरत में पड़ गए। विमानन कंपनी हवाई अड्डों, ग्राउंड हैंडलरों और आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान नहीं कर पा रही है। यहां तक कि कर्मचारियों को वेतन देने में भी देर हो रही थी। मगर वह बैंक का कर्ज चुका रही थी।