गो फर्स्ट (Go First) के पास करीब 300 करोड़ रुपये हैं और यथाशीघ्र परिचालन शुरू करने की उम्मीद है। दिवाला प्रक्रिया के लिए वाडिया समूह की विमानन कंपनी की याचिका 10 मई को स्वीकार कर ली गई और अभिलाष पाल को अंतरिम समाधान पेशेवर के रूप में नियुक्त किया गया।
पाल पहले ही लेनदारों से दावे आमंत्रित कर चुके हैं, जिसे 23 मई तक हासिल कर लिया जाएगा। एक कारोबारी योजना भी तैयार की जा रही है। विमानन कंपनी के एक अधिकारी ने कहा ‘परिचालन को यथाशीघ्र फिर से शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है।’ गो फर्स्ट ने खराब इंजनों और ठप विमानों के परिणामस्वरूप नकदी की कमी के कारण 2 मई को परिचालन बंद कर दिया था।
प्रवर्तक वाडिया समूह ने अप्रैल के अंतिम सप्ताह में विमानन कंपनी में 290 करोड़ रुपये का निवेश किया था। सरकार की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) के तहत विमानन कंपनी बैंकों से ऋण के बराबर राशि निकाल सकती है।
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अधिकारी ने कहा कि हालांकि ECLGS के तहत 82 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त हो चुका है, लेकिन शेष 208 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। अगर लेनदारों की समिति मंजूरी देती है, तो यह राशि निकाली जा सकती है।
विमानन कंपनी द्वारा की गई चार्टर उड़ानों से कुछ राशि मिलनी हैं और विमानन कंपनी को बकाया भी मिलना है। इसलिए परिचालन की फिर से शुरुआत करने के लिए विमानन कंपनी के पास लगभग 300 करोड़ रुपये उपलब्ध होंगे।
गो फर्स्ट पट्टादाताओं द्वारा समाप्त किए गए पट्टों के संबंध में कानूनी राय भी ले रही है। विमानन कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी कौशिक खोना भी पायलट समेत विमानन कंपनी के कर्मचारियों से बातचीत कर चुके हैं।