दवा कंपनी Glenmark Pharmaceuticals ने सोमवार को अपने स्वयं के ब्रांड की सैक्यूबाइट्रिल-वलसार्टन कॉम्बिनेशन वाली टैबलेट पेश करने की घोषणा की। इसकी कीमत 19 रुपये से 35 रुपये प्रति टैबलेट के बीच है। इसका इस्तेमाल दिल के दौरे के इलाज में किया जा सकेगा।
एआईओसीडी-एडब्ल्यूएसीएस की अध्यक्ष (विपणन) शीतल सापले ने कहा कि इस श्रेणी में कम से कम 40 अन्य ब्रांड पेश किए जाने की संभावना है जिससे इस दवा की कीमतों में कमी को बढ़ावा मिलेगा। इससे इस दवा की कीमत कम से कम 50 प्रतिशत तक सस्ती हो सकेगी।
इससे पहले दिसंबर में, जेबी फार्मा ने इसकी कीमतें घटाकर 39.6 रुपये प्रति टैबलेट की थीं। जेबी फार्मा ने अप्रैल 2022 में नोवार्तिस एजी से अजमार्डा ब्रांड का अधिग्रहण किया था।
भारत में सिर्फ चार कंपनियां ही अब तक नोवार्तिस की यह दवा बेच रही थीं। अब कई जेनेरिक निर्माता इसकी होड़ में शामिल होने को तैयार हैं।
आईक्यूवीआईए के अनुसार, संपूर्ण कार्डियोलॉजी बाजार 20,730 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो 7.7 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। सैक्यूबाइट्रिल-वलसार्टन कॉम्बिनेशन के लिए बाजार 37.2 प्रतिशत की सालाना वृद्धि के साथ 514 करोड़ रुपये पर अनुमानित है।
सैक्यूबाइट्रिल-वलसार्टन के एंट्रेस्टो फिक्स्ड-डोज कॉम्बिनेशन का पेटेंट 16 जनवरी को समाप्त हो गया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सहायक पेटेंट कंट्रोलर को सलाह दी है कि वह नोवार्तिस के पेटेंट के संबंध में दवा कंपनी नैटको फार्मा के अनुरोध पर सुनवाई करे।
न्यायालय के इस निर्णय से भारतीय दवा कंपनियों के लिए ह्रदय गति रुकने की बीमारी के उपचार की दवा वाइमाडा (वैश्विक तौर पर इसकी बिक्री एंट्रेस्टो के तौर पर की जाती है) का अपना जेनेरिक वर्सन पेश करने की राह आसान हो गई है।
ग्लेनमार्क फार्मा के कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं व्यावसायिक प्रमुख (इंडिया फॉर्मूलेशंस) आलोक मलिक ने कहा, ‘भारत में ह्रदय रोग का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। इसकी रोग की व्यापकता लगभग 1 प्रतिशत है और इससे करीब 80 लाख-1 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं।’
सैक्यू-वी कॉम्बिनेशन ऐसे मरीजों के लिए किफायती उपचार विकल्प होगा। इस दवा से ह्रदय गति रुकने से होने वाली मौत का जोखिम घटता है और दिल के दौरे से संबंधित लक्षणों में कमी आती है। सैक्यू-वी कॉम्बिनेशन मौजूदा समय में करीब 30-35 प्रतिशत ह्रदय रोगियों में दिया जाता है और चिकित्सकों का मानना है कि कीमतों में कमी आने के साथ यह आंकड़ा बढ़कर 50-60 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।
इस बीच, भारत का कीमत नियामक प्रमुख दवाओं के समाप्त हो रहे पेटेंट पर नजर बनाए हुए है। केंद्र और उद्योग उन दवाओं के लिए मूल्य निर्धारण व्यवस्था पर काम कर रहे हैं जिनके पेटेंट समाप्त हो रहे हैं।
उद्योग के एक जानकार का कहना है, ‘हालांकि अंतिम निर्णय आना बाकी है, लेकिन मूल्य निर्धारण व्यवस्था से समाप्त होने वाले पेटेंट संबंधित दवाओं का उच्चतम मूल्य नई कीमत के 50 प्रतिशत पर तय किया जा सकता है।’