फ्यूचर ग्रुप कंपनियों के लेनदारों को समूह को दिए कर्ज पर 40 फीसदी की कटौती झेलनी पड़ सकती है जब कंपनी का मुख्य कारोबार रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेच दिया जाएगा। बैंकों को हालांकि फ्यूचर समूह की कंपनियों के रियल एस्टेट की पेशकश की गई है, लेकिन बैंकों को फ्यूचर समूह पर 13,000 करोड़ रुपये का बकाया वसूलने में समय लगेगा।। फ्यूचर समूह के प्रवर्तक किशोर बियाणी, भारतीय लेनदारों और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच जिस योजना पर चर्चा हुई है उसके मुताबिक बैंकों को फ्यूचर एंटरप्राइजेज में आरआईएल के निवेश तक इंतजार करना होगा जब समूह की तीन अन्य कंपनियों का उसमें विलय हो जाएगा। एक सूत्र ने कहा, विलय की प्रक्रिया पूरी होने में कम से कम छह महीने लगेंगे और बैंकों को तब तक इंतजार करना होगा। आरआईएल विलय के बाद निवेश करेगी और बैंकों को तब करीब 8,500 करोड़ रुपये मिलेंगे।
फ्यूचर एंटरप्राइजेज का निदेशक मंडल शनिवार को इस विलय प्रस्ताव पर चर्चा करेगा। योजना के मुताबिक, समूह की तीनों कंपनियां फ्यूचर लाइफस्टाइल, फ्यूचर सप्लाई चेन सॉल्युशंस और फ्यूचर रिटेल का विलय फ्यूचर एंटरप्राइजेज लिमिटेड में होगा। जब विलय का काम पूरा हो जाएगा तब रिलायंस विलय के बाद बनने वाली इकाई में निवेश करेगी और उस कंपनी की 50 फीसदी हिस्सेदारी लेगी।
बैंकों के पास बियाणी के पूरे गिरवी शेयर होंगे। लॉकडाउन में फ्यूचर के शेयरों के काफी ज्यादा टूटने से बैंकों ने शेयरों की बिक्री आरआईएल को करने में तेजी लाई। कंपनी के स्तर पर कर्ज के अलावा प्रवर्तक समूह के स्तर पर भी भारी कर्ज है जो मार्च 2018 के 11,790 करोड़ रुपये के मुकाबले मार्च 2019 में बढ़कर 11,970 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जबकि मुद्रीकरण की कोशिशें भी हुई। समूह ने अप्रैल-दिसंबर 2019 में डेट, इक्विटी व हिस्सेदारी बिक्री के जरिए 4,620 करोड़ रुपये जुटाए थे, जिनमें से 1,750 करोड़ रुपये का निवेश ब्लैकस्टोन ने जबकि एमेजॉन ने 1,430 करोड़ रुपये का निवेश किया था। इस रकम मेंं से 1,440 करोड़ रुपये पहले ही फ्यूचर रिटेल में चले गए। बैंकों के लिए यह अच्छी खबर है कि होल्डिंग कंपनी के स्तर पर 80 फीसदी उधारी प्राइवेट इक्विटी फर्मों की तरफ से है, जिसके लिए फंडों के मुकाबले कोलेटरल कवर काफी कम है।