ताइवान की प्रमुख कंपनी फॉक्सकॉन (foxconn) ने 19 महीने के इंतजार के बाद आज वेदांत (Vedanta) के साथ सेमीकंडक्टर बनाने के संयुक्त उपक्रम से हटने की घोषणा कर दी। मगर वेदांत ने इस पर फौरन प्रतिक्रिया देते हुए आश्वस्त किया कि परियोजना में कोई दिक्कत नहीं है और नए भागीदार मिल गए हैं।
बहरहाल उसने नए भागीदार का नाम नहीं बताया। वेदांत को एक प्रमुख एकीकृत उपकरण विनिर्माता (आईडीएम) से 40 नैनोमीटर (एनएम) ग्रेड के चिप का उत्पादन स्तर का तकनीकी लाइसेंस मिला है।
अब यह उपक्रम वेदांत के पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई बन जाएगा
फॉक्सकॉन ने बयान में कहा, ‘कंपनी ने निर्णय किया है कि वह वेदांत के साथ संयुक्त उपक्रम पर आगे नहीं बढ़ेगी। फॉक्सकॉन इस संयुक्त उपक्रम से अपनी कंपनी का नाम हटाने के लिए काम कर रही है और अब यह उपक्रम वेदांत के पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई बन जाएगा।’
1.54 लाख करोड़ रुपये निवेश वाली परियोजना से फॉक्सकॉन के अचानक हटने का ऐलान होने के बाद वेदांत ने स्पष्ट किया कि उसका सेमीकंडक्टर बनाना पक्का है और संयंत्र लगाने के लिए दूसरे साझेदार मिल गए हैं। वेदांत ने कहा, ‘हम जल्द ही 28 एनएम ग्रेड के चिप का उत्पादन लाइसेंस भी हासिल कर लेंगे।’
घटनाक्रम पर संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी प्रतिक्रिया
घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘दोनों कंपनियों ने भारत में सेमीकंडक्टर बनाने का संकल्प लिया है और देश में चिप विनिर्माण की योजना पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।’
सूत्रों ने कहा कि फॉक्सकॉन अकेले निर्माण कर सकती है, जिसके प्रस्ताव के बारे में उसने वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से बात की है। कंपनी के ग्लोबल चेयरमैन यांग लुई ने भी संकेत दिया था कि उनकी कंपनी सरकार के प्रोत्साहन के साथ या उसके बिना भी दूसरा फैब संयंत्र लगा सकती है।
फॉक्सकॉन और वेदांत उन शुरुआती तीन कंपनियों में शामिल थीं, जिन्होंने जनवरी में सरकार की सेमीकंडक्टर योजना के तहत पात्रता के लिए आवेदन किया था। इस योजना के तहत परियोजना की कुल लागत की 50 फीसदी आर्थिक सहायता पेशगी दी जानी है।
फॉक्सकॉन करती है सालाना 40 अरब डॉलर मूल्य के चिप का इस्तेमाल
सूत्रों ने कहा कि फॉक्सकॉन सालाना 40 अरब डॉलर मूल्य के चिप इस्तेमाल करती है और अब वह इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में भी उतर रही है। कंपनी संयुक्त उपक्रम के तहत बने 28 एनएम चिप का बड़ा हिस्सा खरीदने के लिए भी राजी हो गई है। फॉक्सकॉन ने घोषणा की थी कि वह इलेक्ट्रिक वाहन संयंत्र लगाएगी लेकिन वह दूसरी कंपनियों के लिए इन वाहनों का उत्पादन करेगी।
वेदांत और फॉक्सकॉन की परियोजना में कई उतार-चढ़ाव आए। संयुक्त उपक्रम ने कुछ हफ्ते पहले अपने प्रस्ताव में बदलाव करने का निर्णय किया और 40 नैनोमीटर चिप विनिर्माण को इसमें शामिल किया। इसके लिए तकनीक आसानी से उपलब्ध है लेकिन यह मूल प्रस्ताव में नहीं था। 28 नैनोमीटर और उससे कम एनएम वाले चिप की तकनीक हासिल करने के लिए उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
बातचीत के दौरान प्रौद्योगिकी के लिए कोई पक्का अनुबंध सामने नहीं आने के कारण सरकार ने इस सशर्त मंजूरी देने की संभावना पर भी विचार किया था। लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया। चिप के ग्रेड में बदलाव के बावजूद सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने शुरुआती योजना में संशोधन करने का निर्णय किया।
वेदांत के सामने वित्तीय चुनौतियां आने के कारण परियोजना में देरी
पहले इसके लिए 45 दिन की समयसीमा तय की गई थी, लेकिन अब कंपनियां दिसंबर 2024 तक प्रस्ताव दे सकती हैं। इसके साथ वेदांत जैसी पुरानी कंपनियों को प्रस्ताव में बदलाव करने की भी अनुमति दे दी।
वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि वेदांत के सामने वित्तीय चुनौतियां आने के कारण परियोजना में देर हो रही थी। हालांकि भारत माइक्रॉन को यहां लाने में सफल रहा है और उसने चिप टेस्टिंग तथा पैकेजिंग संयंत्र लगाने पर 28.5 करोड़ डॉलर निवेश करने की रजामंदी जताई है।