प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
वित्त वर्ष 2025 में शहरों में रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं (एफएमसीजी) की खपत को मुख्य तौर पर गैर-ब्रांडेड उत्पादों से रफ्तार मिली। बाजार अनुसंधान फर्म कैंटार ने अपनी नवीनतम एफएमसीजी पल्स रिपोर्ट में यह बात कही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लगातार बढ़ रहे डिजिटल विज्ञान ने शहरी उपभोक्ताओं की धारणा बदल दी है।
इस बीच देश में आर्थिक गतिविधियों के संकेतक बेहतर दिख रहे हैं। उदाहरण के लिए, खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी, जीडीपी में तेजी और उपभोक्ता विश्वास सूचकांक में वृद्धि का उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र और विशेष रूप से एफएमसीजी पर पूरा प्रभाव पड़ना अभी बाकी है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मार्च 2025 की अवधि के लिए मूविंग एनुअल टोटल (एमएटी) में वृद्धि घटकर 4.2 फीसदी रह गई जो वित्त वर्ष 2024 में 6.6 फीसदी रही थी।’
साथ ही 2025 की पहली तिमाही में घरेलू उपभोग के लिए खरीदे गए एफएमसीजी में 3.5 फीसदी की वृद्धि हुई जो कैलेंडर वर्ष 2022 की आखिरी तिमाही के बाद सबसे सुस्त रफ्तार है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘तिमाही के दौरान 3.5 फीसदी की वृद्धि को दो भागों में यानी शहरी बाजार में 4.4 फीसदी और ग्रामीण बाजार में 2.7 फीसदी के तहत विभाजित किया गया है। यह लगातार ऐसी तीसरी तिमाही है जब ग्रामीण बाजार के मुकाबले शहरी बाजार तेजी से बढ़ा है। यहां तक कि सालाना आधार पर भी देखा जाए तो 4.4 फीसदी पर शहरी वृद्धि 4 फीसदी की ग्रामीण वृद्धि से थोड़ा अधिक है।’
इसकी झलक नेस्ले इंडिया और हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी सूचीबद्ध उपभोक्ता कंपनियों के वित्त वर्ष 2025 के तिमाही नतीजों में भी मिलती है। इन कंपनियों ने शहरी खपत में नरमी की ओर बार-बार इशारा किया है।
कैंटार के अध्ययन में शामिल 22 सूचीबद्ध कंपनियों के अनुसार, शहरी बाजार की मात्रात्मक बिक्री में सालाना महज 2.1 फीसदी की वृद्धि हुई। शोधकर्ता ने कहा, ‘ब्रांडेड बाजार का बाकी हिस्सा 3.8 फीसदी वृद्धि के साथ बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। मगर गैर-ब्रांडेड उत्पादों में साल के दौरान 8.4 फीसदी की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई।’
कैंटार ने इसका श्रेय पैकेजिंग, मूल्य निर्धारण और ब्रांडिंग के बारे में शहरी ग्राहकों के बीच धारणा में बदलाव को दिया। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जहां तक मूल्य का सवाल है तो ग्राहक अब गुणवत्ता, सौंदर्य आदि पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। यही कारण है कि 2024 की पहली तिमाही और 2025 के बीच प्रति किलोग्राम एफएमसीजी उत्पाद के लिए अदा की गई कीमत 8 रुपये बढ़ गई है, जबकि ग्राहक काफी हद तक छोटे ब्रांड अथवा गैर-ब्रांडेड उत्पाद खरीद रहे हैं।’
कैंटार ब्रांडेड और गैर-ब्रांडेड दोनों उत्पादों पर नजर रखती है, जबकि एनआईक्यू केवल ब्रांडेड उत्पादों पर नजर रखता है। इस बीच, ग्रामीण विकास में स्थिति इसके विपरीत दिखी जहां सूचीबद्ध ब्रांडों ने 5.1 फीसदी की दमदार रफ्तार से वृद्धि दर्ज की और ब्रांडेड बाजार का बाकी हिस्सा 4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है। मगर ग्रामीण बाजार में गैर-ब्रांडेड उत्पादों की खपत में महज 2.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
बहरहाल उत्पाद श्रेणियों के बारे में कैंटार ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 में वाशिंग लिक्विड सबसे तेजी से बढ़ने वाली श्रेणी रही और उसकी मात्रात्मक बिक्री में 2.7 गुना वृद्धि दर्ज की गई। इसके अलावा रेडी-टू-कुक मिक्स पिछले दो वर्षों में ही अपनी मात्रात्मक बिक्री को दोगुना करने वाली एकमात्र श्रेणी रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दोनों श्रेणियों में वृद्धि की जबरदस्त गुंजाइश मौजूद है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खपत की रफ्तार सुस्त रहने के बावजूद प्रीमियत उत्पादों में तेजी बरकरार है। आगे की तिमाहियों के दौरान शहरी बाजार में एफएमसीजी की बिक्री में मध्यम से दमदार वृद्धि दिखने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अगर व्यापक आर्थिक कारक अनुकूल रहे तो दूसरी छमाही के दौरान ग्रामीण बाजार में भी सुधार दिखेगा।’