दैनिक उपभोक्ता वस्तुओं (FMCG) के वितरकों के संगठन ने क्विक-कॉमर्स क्षेत्र की कंपनियों द्वारा धनराशि के इस्तेमाल और उसके रकम जुटाने तथा अपने प्लेटफॉर्म पर वस्तुओं पर भारी छूट देने के बारे में वित्त मंत्रालय को पत्र लिखा है।
पिछले सप्ताह लिखे पत्र में ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रिब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसी पीडीएफ) ने कहा है कि उसने एक विश्लेषण किया है जिससे संकेत मिलता है कि इस धन का करीब 80 प्रतिशत खुदरा क्षेत्र के लिए अत्याधुनिक नवाचार या सतत वृद्धि मॉडल बनाने के बजाय ग्राहक अधिग्रहण रणनीतियों में रहता है। उसने अपने पत्र में कहा कि क्विक कॉमर्स कंपनियां पूंजी जुटा रही हैं जिसका इस्तेमाल भारी छूट और वस्तुओं के औन-पौने दाम रखने में किया जाता है।
पत्र में कहा गया है, ‘ऐसी कार्यप्रणाली से उन छोटे खुदरा विक्रेताओं और वितरकों पर भारी दबाव पड़ रहा है, जो भारत के एफएमसीजी वितरण नेटवर्क की रीढ़ हैं।’ पत्र में बताया गया है, ‘ये कारोबार भारी सब्सिडी वाली कीमतों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते हैं, जिससे एक करोड़ पारंपरिक खुदरा व्यापारियों की आजीविका को खासा नुकसान हो रहा है।’
उसने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) और अन्य प्राधिकरणों से एफडीआई नियमों, श्रम कानूनों और नैतिक व्यवहार की जांच पूरी होने तक क्विक कॉमर्स प्लेटफार्मों में नए निवेश पर अस्थायी रोक लगाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है।
पिछले महीने वितरकों के इस संगठन ने सीसीआई को उन विभिन्न मसलों को लेकर पत्र लिखा था जिनका सामना पारंपरिक आपूर्ति श्रृंखला को क्विक-कॉमर्स के तेजी से विकास के कारण करना पड़ रहा है। इसमें कई कंपनियों द्वारा एफएमसीजी वस्तुओं के प्रत्यक्ष वितरक के रूप में इन प्लेटफार्मों की नियुक्ति करना शामिल है।
उसने जुटाई गई धनराशि के इस्तेमाल की जांच करने और उसके उपयोग में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की भी मांग की है। संगठन ने अपने पत्र में कहा, ‘नियमन व्यवस्था विकसित कीजिए, बाजार में उचित व्यवहार अनिवार्य करें और सुनिश्चित करें कि क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म स्थायी और नैतिक रूप से संचालित हों।’ उसने छोटे खुदरा विक्रेताओं और वितरकों की सुरक्षा के लिए नीतियों की भी मांग की।
इस महीने की शुरुआत में भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने ई-कॉमर्स और क्विक-कॉमर्स खाद्य कारोबार संचालकों (एफबीओ) से उपभोक्ताओं को डिलिवरी के समय उत्पादों की मियाद खत्म होने से पहले न्यूनतम 30 प्रतिशत या 45 दिन की मियाद सुनिश्चित करने के लिए कहा था।