पांच कंपनियों ने देश में इलेक्ट्रिक बसों (Electric Buses) की खरीद के लिए सबसे बड़ी निविदा के वास्ते बोली लगाई है। इनमें इलेक्ट्रिक बस विनिर्माता पीएमआई इलेक्ट्रो मोबिलिटी सॉल्यूशंस, जिसके पास फोटोन के साथ एक संयुक्त उद्यम है, अशोक लीलैंड कंपनी की स्विच मोबिलिटी, गुरुग्राम स्थित जेबीएम समूह, जो इलेक्ट्रिक बसों की असेंबलिंग भी करता है, भारत की प्रमुख वाणिज्यिक वाहन और सीटिंग इंटीरियर कंपनी पिनेकल तथा टूर ऑपरेटर ट्रैवल टाइम्स शामिल हैं।
ईईएसएल के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (सीईएसएल) ने 10 साल की अवधि के लिए सकल लागत अनुबंध के आधार पर 6,450 इलेक्ट्रिक बसों के लिए निविदा जारी की है। इलेक्ट्रिक बसों के लिए इसका सबसे बड़ा ऑर्डर भी पहले इस साल 5,450 इलेक्ट्रिक बसों के वास्ते पुनर्गठित की गई फेम 2 योजना के तहत जारी किया गया था, जिसे टाटा मोटर्स ने सभी श्रेणियों में जीता था। हालांकि बाद में अनुबंध का हिस्सा अन्य बोलीदाताओं के साथ विभाजित कर दिया गया था, जिसमें ओलेक्ट्रा भी शामिल थी।
अलबत्ता इस श्रेणी में सबसे आक्रामक कंपनियों में से एक टाटा दूर रही है और ओलेक्ट्रा ने भी ऐसा ही किया है, जिसकी चीनी दिग्गज बीवाईडी के साथ प्रौद्योगिकी साझेदारी है। जहां स्विच, पीएमआई और जेबीएम ने दिल्ली परिवहन निगम की 1,900 बसों के लिए बोली लगाई है, जो आकार के लिहाज से सबसे बड़ी है, वहीं दिल्ली के परिवहन विभाग द्वारा वांछित अन्य 1,040 बसों की बोली केवल जेबीएम और पीएमआई द्वारा लगाई गई है।
इस तरह हालांकि पीएमआई ने दिल्ली से ही दोनों ऑर्डर के दो लॉट पर ही ध्यान केंद्रित किया है, दूसरी ओर जेबीएम ने बोली लगाने के लिए प्रस्तावित आठ विभिन्न स्लॉट में से सात के लिए बोली लगाई है, जिसे बस मॉडल के आकार और विशिष्टताओं तथा ऑर्डर देने वाले एसटीयू के आधार पर विभाजित किया गया था। केरल में ट्रैवल टाइम्स ने केवल एक स्लॉट के लिए, स्विच ने पांच स्लॉट के लिए और पिनेकल ने तीन स्लॉट में बसों के लिए बोली लगाई है।
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इस अनुबंध के आकार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश में वर्तमान में सड़कों पर केवल 3,000 इलेक्ट्रिक बसें ही हैं। इस बड़े ऑर्डर की जरूरतों को पूरा करने के लिए कंपनियों को अपने कारखानों में इन बसों का निर्माण करने और असेंबल करने के लिए 7,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जुटानी होगी। बुनियादी ढांचे के साथ एक इलेक्ट्रिक बस की औसत लागत 1.2 करोड़ रुपये है।
बैन ऐंड कंपनी के शोध के अनुसार वर्ष 2022 में कुल बस बाजार में इलेक्ट्रिक का हिस्सा लगभग चार प्रतिशत है, लेकिन वर्ष 2026 में यह हिस्सेदारी बढ़कर आठ प्रतिशत तक और वर्ष 2030 तक 15 से 20 प्रतिशत पहुंचने की उम्मीद है।