कंपनियों ने कोविड संबंधी अड़चनों की वजह से करीब 27,312 करोड़ रुपये के संभावित नुकसान का हिसाब लगाया है। इनमें ऋणदाताओं का बकाया और साथ ही कंपनियों द्वारा व्यापारियों से मिलने वाली देनदारियां शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने ग्राहकों को वस्तु एवं सेवा कर मुहैया कराए हैं लेकिन उसका भुगतान उन्हें अब तक नहीं मिला है।
डेलॉयट टच तोमात्सु इंडिया और बिज़नेस स्टैंडर्ड ने एसऐंडपी बीएसई 100 कंपनियों द्वारा कोविड-19 से संबंधित खुलासों के संकलन के आधार पर उक्त राशि का अंदाजा लगाया है। बीएसई 100 कंपनियों का देश के कुल सूचीबद्घ फर्मों की बाजार पूंजीकरण में करीब दो-तिहाई का योगदान है। विश्लेषण में मार्च तिमाही के आंकड़ों के साथ ही साथ जून तिमाही के नतीजे जारी करने वाली 84 कंपनियों के आंकड़े शामिल किए हैं।
जून में उधारी नुकसान समायोजन में अधिकांश हिस्सेदारी वित्तीय सेवा क्षेत्र की है (12,970 करोड़ रुपये)। इसके अलावा मार्च तिमाही में 11,770 करोड़ रुपये का अलग से नुकसान हुआ है।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर मधुसूदन कनकनी ने कहा कि बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने महामारी के कारण कर्ज फंसने का अंदाजा लगाते हुए, उसके लिए अलग से प्रावधान किया है। एनबीएफसी के लिए संभावित उधारी नुकसान के लिए प्रावधान करने की जरूरत है न कि महज मौजूदा डिफॉल्ट के लिए। इसका मतलब है कि उन्हें कर्ज फंसने से पहले ही उसके लिए प्रावधान करना होगा।
कनकनी ने कहा, ‘ज्यादातर नुकसान मार्च और जून तिमाही में दर्ज किए गए हैं।’
अन्य क्षेत्रों की कंपनियों ने भी अपने ऊपर बकाया राशि के लिए प्रावधान किया है। इनमें फार्मा, तकनीक, धातु एवं खान कंपनियां शामिल हैं। कुछ अंदाजा अंतिम आंकड़ों की गणना के आधार पर लगाया जाएगा क्योंकि सभी कंपनियों ने एकसमान विवरण नहीं दिए हैं। उदाहरण के लिए कुछ ने शुद्घ कर में दिखाया है, वहीं कुछ ने सकल आंकड़े दिखाए हैं।
कंपनियों ने अन्य रूपों में महामारी के नुकसान का आकलन किया है। 27,831 करोड़ रुपये की क्षति के अलावा इन्वेंट्री मूल्यांकन में भी 18,614 करोड़ रुपये की चपत लगी है।
कनकनी ने कहा कि तेल एवं गैस क्षेत्र को सबसे ज्यादा इम्पेयरमेंट नुकसान हुआ है, साथ ही साल के अंत में इन्वेेंट्री मूल्यांंकन में भी चपत लगी है। कंपनियों की परिसंपत्ति मूल्य उस कारोबार से होने वाली संभावित आय पर आधारित है। महामारी के बाद मांग गिरी है। कई इकाइयां में पहले की तुलना में ज्यादा नुकसान की आशंका है। इसी हिसाब से संपत्ति के मूल्य में कमी आई है। इसे इम्पेयरमेंट नुकसान कहा जाता है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटी की रिटेल इकाई में शोध प्रमुख पंकज पांडेय ने कहा कि अगर स्थिति सामान्य होती है तो तेल एवं गैस कंपनियां कुछ नुकसान की भरपाई कर सकती है। चालू तिमाही में भी मुनाफे में कुछ सुधार की उम्मीद है।