नियामकों द्वारा ईएसजी समेकन पर जोर दिए जाने के आसार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 8:28 PM IST

बीएस बातचीत
पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासनिक (ईएसजी) निवेश भारत और दुनियाभर में लोकप्रिय हो रहा है। वित्तीय आंकड़ा प्रदाता रेफिनिटिव में निदेशक (सस्टेनेबल फाइनैंस एवं लिपर, एशिया-पैसिफिक) दीपक खुराना ने समी मोडक के साथ बातचीत में इस क्षेत्र में उभरते रुझानों पर चर्चा की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
ऐसे कौन से रुझान हैं जिनकी वजह से ईएसजी-थीम वाला निवेश भारत और वैश्विक रूप से लोकप्रिय हो रहा है?
सतत निवेश को समर्पित परिसंपत्तियां 2014 से 11 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ी हैं, और यह वृद्घि अगले कुछ वर्षों में भी बरकरार रहने की संभावना है। सेल्फ-आईडेंटिफाइड ईएसी फंडों की एयूएम वर्ष 2022 तक कुल वैश्विक एयूएम के 36 प्रतिशत के बराबर पहुंच जाने की संभावना है। ईएसजी दीर्घावधि आवंटन वाले निवेशकों का अनिवार्य हिस्सा बनने की संभावना है। ईएसजी स्पेस में खुदरा निवेशकों की भागीदारी करीब 25 प्रतिशत के आसपास है और आने वाले वर्षों में इसमें अच्छी तेजी आने की संभावना है। भारत भी इस क्षेत्र में अच्छी तेजी दर्ज कर रहा है। एसबीआई म्युचुअल फंड जैसी कंपनियों ने ईएसजी शोध को अपनी मुख्य निवेश प्रक्रियाओं के साथ समेकित किया है। क्वांटम, एसबीआई, कोटक, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, और ऐक्सिस म्युचुअल फंड्स ने ईएसजी थीम वाले फंडों की पेशकश में तेजी दिखाई है जबकि डीएसपी म्युचुअल फंड, आदित्य बिड़ला म्युचुअल फंड और बीएनपी पारिबा म्युचुअल फंड ईएसजी थीम फंडों की मंजूरी के लिए सेबी के साथ अपने आवेदन पहले ही कर चुके हैं।

ईएसजी निवेश की बढ़ी लोकप्रियता का कारण क्या है?
कई अध्ययनों और शोधों से पता चला है कि ईएसजी कारक अपनी निवेश रणनीति में अल्फा निर्माण के लिए सक्रिय परिसंपत्ति प्रबंधकों की मदद कर रहे हैं। ईएसजी को बढ़ावा देने वाले अन्य मुख्य कारकों में उपभोक्ता मांग, साख से संबंधित जोखिम मुख्य रूप से शामिल हैं। सभी प्रमुख देशों की सरकारें संस्थागत निवेशकों के प्रति कर्तव्यनिष्ठा दिखाने के प्रयास में ईएसजी जोखिम (खासकर जलवायु से संबंधित) पर जोर दे रही हैं। पेरिस समझौता और ईएसजी नियम पर ईयू का नेतृत्व इस तरह की कोशिशों के उदाहरण हैं। कंपनियों द्वारा ईएसजी विवरणों के खुलासे के लिए वैश्विक रूप से नियामकों द्वारा खास जोर दिया गया है। एशिया में, हांगकांग और सिंगापुर ईएसजी को अपने आर्थिक विकास एजेंडे के तौर पर बढ़ावा देने में आगे बने हुए हैं। जापान के गवर्नमेंट पेंशन इन्वेस्टमेंट फंड (जीपीआईएफ) ने ईएसजी को अपनी निवेश रणनीति के केंद्र में रखा है और चीन के नियामक ने ए-शेयर कंपनियों को ईएसजी संबंधित जानकारी वर्ष 2020 तक मुहैया कराना अनिवार्य बना दिया है। भारत में, सेबी ने प्रमुख 1,000 कंपनियों से बिजनेस रेस्पोंसिबल रिपोर्टिंग (बीआरआर) के तहत ईएसजी जानकारियों का खुलासा करने को कहा है।

सेबी ने शीर्ष 1,000 कंपनियों को ईएसजी संबंधित खुलासे करना अनिवार्य बनाया है। इन कंपनियों के खुलासा मानक कैसे हैं?
हमारे अध्ययन के अनुसार, भारत को 99 प्रतिशत की पारदर्शिता रेटिंग के साथ नीतिगत सामुदायिक जुड़ाव पर ऊंचा स्थान हासिल है, जबकि वैश्विक रूप से यह पारदर्शिता प्रतिशत 80 है। समान मताधिकार नीति के संदर्भ में भारत को 98 प्रतिशत अंक हासिल हैं, जबकि दक्षिण अप्रीका के लिए यह 97, ब्राजील के लिए 95 और चीन के लिए 98 प्रतिशत है।

मानकों में सुधार के लिए क्या नियामकीय बदलाव जरूरी हैं?
अपने कार्य प्रवाह में ईएसजी मानकों को समेकित करने के लिए हमारे खुलासा ढांचे (बीआरआर) में सुधार लाने और परिसंपत्ति प्रबंधकों, निवेश बैंकरों, पेंशन और कंपनियों जैसे विभिन्न हितधारकों को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।

ईएसजी निवेश को लेकर फंड प्रबंधकों की रणनीति क्या है? वे ईएसजी-संबंधित जानकारी कैसे प्राप्त करते हैं?
ईएसजी जानकारी सीएसआर रिपोर्टों, सालाना रिपोर्टों, कंपनी वेबसाइटों, स्टॉक एक्सचेंज को दिए गए विवरण के जरिये हासिल की जाती है। फंड प्रबंधक ईएसजी पर मानकीकृत और विश्लेषणात्मक जानकारी हासिल करने के लिए हमारे जैसे बाजार डेटा प्लेटफॉर्मों का सक्रियता से इस्तेमाल करते हैं। वैश्विक रूप से ईएसजी निवेश के लिए इस्तेमाल कुछ दृष्टिकोणों में शामिल हैं – एक्सक्लूजन पॉलिसी, जिसमें फंड प्रबंधक उन निवेश क्षेत्रों को अलग करते हैं जो उनकी निवेश शर्तों के लिहाज से प्रतिकूल हों।  

अगले 5-10 वर्षों में ईएसजी परिदृश्य में क्या बदलाव आएगा? इन बदलावों के वृहद लाभ क्या होंगे?
आगामी आर्थिक वृद्घि काफी हद तक इस पर निर्भर करेगी कि कितनी तेजी और प्रभावी तरीके से हम सामाजिक और पर्यावरण संबंधित चुनौतियों का मुकाबल कर सकते हैं, खासकर ऐसी चुनौतियां जो हमारे समाज में बदलती मौजूदा प्रणालियों, पूंजीगत आवंटन प्रक्रियाओं और खपत रुझान में बदलावों की वजह से पैदा हुई हों।

First Published : December 7, 2020 | 11:21 PM IST