भारत की चौथी सबसे बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी कारोबार और सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी सत्यम कंप्यूटर्स सर्विसेज ने अपने 50 हजार कर्मियों में से 8 प्रतिशत यानी 4 हजार कर्मियों की पहचान की है जो शीर्ष अधिकारी की जिम्मेदारियां निभाएंगे।
कंपनी में हर 12 कर्मियों के लिए एक शीर्ष अधिकारी होगा। गौरतलब है कि यह आंकड़ा अधिकतर संस्थानों से कम से कम नहीं तो 15-20 प्रतिशत अधिक है। कंपनी के प्रमुख रणनीति अधिकारी, शैलेश शाह के अनुसार कंपनी की योजना इस आंकड़े को 8 से 9 फीसदी के बीच ही रखना है।
उन्होंने नए ढांचे (जो नेतृत्व और नवप्ररवर्तन का समर्थन करता है) पर पूरा विश्वास जताते हुए कहा कि यह कंपनी को तेजी से और सफलता के साथ 280 खरब से 320 खरब रुपये का वैश्विक डिलवरी बाजार, जिसमें से सूचना प्रौद्योगिकी का बाजार 28 हजार करोड़ से 36 हजार करोड़ रुपये का है, में अपने कारोबार को विस्तार करने में मदद करेगा।
साथ ही कंपनी सूचना प्रौद्योगिकी की प्रमुख कंपनियों जैसे कि आईबीएम, ईडीएसस, कैपजेमिनी, टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस टेक्नोलॉजीस, विप्रो टेक्नोलॉजीस का भी सामना कर पाएगी। इन 4000 शीर्ष अधिकारियों में से लगभग 50 प्रतिशत सीधे-सीधे 8 हजार करोड़ रुपये वाली कंपनी के लिए तय कमाई के लिए जिम्मेदार होंगे। बाकी बचे हुए 50 प्रतिशत अधिकारियों में विशेषज्ञ शामिल होंगे जो सलाह, मार्केटिंग और रणनीति निर्धारण का काम करेंगे।
हर कर्मी अपने काम के लिए खुद शीर्ष अधिकारी होगा, साथ ही वह अपने प्रदर्शन के लिए भी जिम्मेवार होगा। शीर्ष अधिकारी अपनी इकाई के लिए लक्ष्य तय करेंगे, रणनीति बनाएंगे, संसाधन आवंटित करेंगे और परिचालन प्रबंध करेंगे।
शाह का कहना है कि यह लीडरशिप मॉडल वरीयताक्रम की बंदिशों को तोड़ने, लोगों को सशक्त करने लीडरशिप के वितरण के लिए डिजाइन किया गया है। शाह का कहना है कि इस लीडशरशिप ढांचे से कर्मियों में किसी भी चीज के अपने होने की भावना बढ़ेगी और इससे फैसला लेने के समय में कमी आएगी, जबकि साथ ही साथ दो लोगों के बीच की टकराहट भी कम होगी।
शाह का कहना है, ‘इससे जानकारी बढ़ेगी, जिसकी बदौलत ग्राहक का आपमें विश्वास बढ़ेगा। हर कारोबार को लागतार पांच स्तरों वाले प्रदर्शन मापक पर जांचा जाएगा, जो हर शीर्ष अधिकारी के संसाधनों के इस्तेमाल से जुड़ा होगा।’
इस राह पर आगे बढ़ते हुए, कंपनी ने सत्यम स्कूल ऑफ लीडरशिप में भी निवेश किया है। शाह का कहना है, ‘हमारे कारोबार में कई काम मिल-जुल कर किये जाते हैं। जब बात हमारी सर्विस लाइनों और कंपनी की अन्य शाखाओं की होती है तो वहां उनके बीच ताल-मेल की जरूरत होती है, जिसके लिए शीर्ष अधिकारियों को कई सौदों पर एक-दूसरे के साथ मिल कर काम करना होगा।
हमारे संस्थापक और चेयरमैन रामालिंग राजू की देख-रेख में हम पिछले 18-20 महीनों से इस मॉडल पर काम कर रहे हैं और यह प्रक्रिया आगे भी चलती रहेगी।’ ओवम इंडिया के प्रमुख (आईटी और टेलीकॉम) आलोक शिंदे का कहना है, लीडरशिप मॉडल को बनाने के साथ ही इसका असर सीधे सत्यम की विकास योजनाओं में दिखेगा और इससे अगले एक से दो वर्षों में कंपनी की आय में अहम प्रभाव पड़ेगा।
अन्य विश्लेषक ने आगाह किया कि कंपनियां इन दिनों केन्द्रीकरण और विकेन्द्रीकरण के दौर से गुजर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘लोग तेज तरक्की के इरादे से कार्यबलों से जुड़ रहे हैं। उनका यह कदम जरूर उन्हें सफल बनाएगा।’ जहां एक तरफ कंपनी अपने ढांचे में तब्दीलियां ला रही है, वहीं दूसरी तरफ कंपनी ने अपना प्रेरणावाक्य भी बदल कर ‘बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन। टूगेदर’ कर दिया है।
शाह का कहना है कि यह बदलाव इसलिए भी जरूरी थे, क्योंकि अब सत्यम सिर्फ सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं देने वाली कंपनी नहीं रह गई है। फिलहाल इस समय कंपनी की 20 शाखाएं, 6 सर्विस लाइनें (सलाहकार, सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं, बीपीओ सेवाएं, इंजीनियरिंग, परीक्षण और बुनियादी ढांचा प्रबंधन) और लगभग 650 उपभोक्ता हैं। शाह का कहना है, ‘हम लगातार खुद से पूछते रहते हैं कि कैसे हम खुद को बेहतर बनाए रख सकते हैं। हमारा मानना हे कि पुनसंगठन से हमें ऐसा करने में मदद मिलेगी।’
कंपनी की बदलती तस्वीर
इस मॉडल को वरीयताक्रम की बंदिशों को तोड़ने, सशक्त बनाने और लीडरशिप के वितरण के लिए डिजाइन किया गया
4000 शीर्ष अधिकारियों में से लगभग 50 प्रतिशत सीधे-सीधे कंपनी के लिए तय कमाई के लिए जिम्मेदार होंगे
कंपनी की 20 शाखाएं, 6 सर्विस लाइनें (सलाहकार, आईटी सेवाएं, बीपीओ सेवाएं, परीक्षण इंजीनियरिंग और बुनियादी ढांचा प्रबंधन) और 650 उपभोक्ता हैं